Long Covid Research : नई स्टडी में लॉन्ग कोविड मरीजों के खून में माइक्रोक्लॉट्स और इम्यून सेल्स में बड़े बदलाव पाए गए हैं। ये थक्के और NETs लंबे समय तक चलने वाले कोविड लक्षणों का कारण बन सकते हैं। जानें क्या कहती है ताज़ा रिसर्च।
Long Covid Research: कोरोना संक्रमित रह चुके लोगों के खून में बन रहे थक्के, नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
Long Covid Research : कोविड-19 संक्रमण भले ही अब महामारी स्तर पर न हो, लेकिन इसके असर से दुनिया अभी भी पूरी तरह उबर नहीं पाई है। खासकर वो लोग जो कोविड होने के महीनों बाद भी थकान, ब्रेन फॉग, सांस फूलना और शरीर दर्द जैसे लक्षण महसूस करते हैं। इन्हीं लक्षणों को लॉन्ग कोविड कहा जाता है। अब एक नई स्टडी में इस स्थिति की असली वजह से पर्दा उठने की उम्मीद दिखाई दी है।

Journal of Medical Virology में पब्लिश इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने लॉन्ग कोविड मरीजों के खून में माइक्रोक्लॉट्स (Microclots) और न्यूट्रोफिल एक्स्ट्रासेल्युलर ट्रैप्स (NETs) की असामान्य मात्रा पाई है, जो इस लंबे समय से बनी हुई स्थिति का कारण हो सकते हैं।
Long Covid Research : रिसर्च में क्या निकला
ताज़ा स्टडी के अनुसार दो बड़े बदलाव स्पष्ट तौर पर देखे गए:
- खून में माइक्रोक्लॉट्स की मौजूदगी
ये बेहद छोटे-छोटे थक्के होते हैं जो क्लॉटिंग प्रोटीन के असामान्य गुच्छों की तरह बनते हैं। कोविड संक्रमण के बाद से इन्हें पहले भी देखा गया था, लेकिन लॉन्ग कोविड मरीजों में ये अधिक मात्रा में और आकार में बड़े पाए गए।
Long Covid Research : इम्यून सेल ‘न्यूट्रोफिल’ का असामान्य व्यवहार
स्टडी में पाया गया कि लॉन्ग कोविड मरीजों के न्यूट्रोफिल सेल्स अपना डीएनए बाहर निकालकर धागेनुमा संरचनाएं बना रहे थे, जिन्हें Neutrophil Extracellular Traps (NETs)* कहा जाता है।
ये NETs आमतौर पर इंफेक्शन को रोकने में मदद करते हैं, लेकिन कोविड में इनका अत्यधिक निर्माण समस्या पैदा कर सकता है।

माइक्रोक्लॉट्स और NETs कैसे बनते हैं बीमारी की जड़
एक्सपर्ट्स का कहना है कि माइक्रोक्लॉट्स और NETs के बीच का इंटरैक्शन शरीर में ऐसी प्रतिक्रियाओं की श्रृंखला शुरू कर देता है जिससे:
सूजन बढ़ जाती है
खून में थक्के बनने की समस्या बढ़ती है
ऑक्सीजन सप्लाई प्रभावित होती है
शरीर की क्लॉट-ब्रेकिंग सिस्टम कमजोर पड़ जाती है
इससे मरीजों में महीनों तक थकान, दर्द और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण बने रहते हैं।
Long Covid Research : प्लाज्मा की जाँच में मिली हैरान करने वाली बातें
स्टडी में लॉन्ग कोविड मरीजों के प्लाज़्मा की माइक्रोस्कोपिक जांच में:
माइक्रोक्लॉट्स की अधिक मात्रा
NETs की अत्यधिक उपस्थिति
स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में अधिक बड़ा आकार
देखा गया।
रिसर्चर रिसिया प्रिटोरियस के अनुसार, ये इंटरैक्शन माइक्रोक्लॉट्स को शरीर की प्राकृतिक क्लॉट-डिसॉल्विंग प्रक्रिया से बचा लेता है, जिस वजह से वे लंबे समय तक खून में बने रहते हैं।
Long Covid Research : क्या कहते हैं एक्सपर्ट
रिसर्च के लेखक एलैन थिएरी का कहना है:
“यह खोज बताती है कि माइक्रोक्लॉट्स और NETs के बीच होने वाली शारीरिक प्रक्रियाएं अनियंत्रित होकर लॉन्ग कोविड की वजह बन सकती हैं।”
रिसर्च टीम का कहना है कि इस नए खुलासे से लॉन्ग कोविड को समझने और उसके उपचार के नए रास्ते खुल सकते हैं।
Long Covid Research : यह स्टडी क्यों महत्वपूर्ण है
लॉन्ग कोविड की सही वजह अब तक स्पष्ट नहीं थी।
यह खोज संभावित इलाज विकसित करने में मदद करेगी।
यह पता चल सकता है कि किन मरीजों में लॉन्ग कोविड का रिस्क ज्यादा है।
इम्यून सिस्टम और खून में होने वाले बदलावों को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा।
लॉन्ग कोविड का इलाज अभी भी चुनौती बना हुआ है, लेकिन यह नई स्टडी इस रहस्य को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। माइक्रोक्लॉट्स और NETs के बीच का संबंध भविष्य में डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को लक्षित उपचार विकसित करने में मदद कर सकता है।