Maharashtra politics : महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा में करीब 20 मिनट की अहम मुलाकात हुई। इस दौरान कई राजनीतिक और भाषाई मसलों पर बातचीत हुई। ठाकरे के साथ उनके विधायक पुत्र आदित्य ठाकरे और अन्य विधायक भी मौजूद थे।
मुलाकात के दौरान उद्धव ठाकरे ने सीएम फडणवीस को ‘हिंदी की ज़बरदस्ती आखिर क्यों ?’ नामक एक पुस्तक भेंट की, जो राज्य में भाषा की अनिवार्यता को लेकर चल रही बहस का प्रतीक मानी जा रही है। फडणवीस ने इसे समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जाधव को भी देने का सुझाव दिया।
नेता प्रतिपक्ष पद पर भी चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर भी थी। ठाकरे गुट लंबे समय से इस पद की मांग कर रहा है, लेकिन अब तक उन्हें यह पद नहीं मिला है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री से उनकी यह सीधी बातचीत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
क्या 2029 की राजनीति शुरू?
एक दिन पहले ही विधानभवन में देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को ‘साथ आने’ का मजाकिया ऑफर दिया था। उन्होंने कहा था कि 2029 तक तो कोई स्कोप नहीं है, लेकिन उद्धवजी आपको यहां शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।” हालांकि उद्धव ठाकरे ने इसे हंसी-मजाक की बात बताते हुए टाल दिया।
राज ठाकरे की नजदीकी से बदले समीकरण ?
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की संयुक्त रैली ने Maharashtra politics समीकरणों में हलचल मचा दी थी। रैली का मुख्य मुद्दा मराठी बनाम हिंदी भाषा विवाद था, जिसमें राज्य सरकार की नीतियों पर तीखा हमला किया गया था।
इस मुलाकात ने Maharashtra politics में कई संभावनाओं के संकेत दिए हैं। जहां एक ओर नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर ठाकरे गुट की सक्रियता बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर भाषा आधारित मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति भी साफ दिख रही है। आने वाले दिनों में इस मुलाकात के और भी बड़े राजनीतिक मायने निकल सकते हैं।