SUPREME COURT HEARING ON VOTER LIST IN BIHAR, NEW DELHI : बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट ( VOTER LIST) के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि वह चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को उसके काम से नहीं रोकेगा। हालांकि SUPREME COURT ने आयोग को मतदाता की पहचान के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को भी स्वीकार करने पर विचार करने का सुझाव दिया है।
करीब ढाई घंटे तक चली सुनवाई में जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने 11 याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकरनारायण जैसे दिग्गज वकीलों ने दलील दी कि आयोग को नागरिकता जांचने का अधिकार नहीं है और प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकीलों ने कहा कि आयोग सिर्फ अपना संवैधानिक कार्य कर रहा है।
अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी, जिसमें चुनाव आयोग को तीन प्रमुख बिंदुओं—इस अभियान की संवैधानिक शक्ति, प्रक्रिया और समय निर्धारण—पर जवाब दाखिल करना है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल इस प्रक्रिया को रोका नहीं जाएगा और नई मतदाता सूची विधानसभा चुनाव में लागू की जा सकती है।
चुनाव आयोग ने बताया कि यह अभियान केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आगामी समय में देशभर में इसी तरह का अभियान चलाया जाएगा। आयोग ने आश्वासन दिया कि जिनका नाम छूटेगा, उन्हें दोबारा नाम जुड़वाने का पूरा मौका मिलेगा।