VARANASI : सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस पावन माह में भक्त विशेष रूप से सोमवार को शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, दही और गंगाजल अर्पित कर भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। लेकिन एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में उठता है वह यह है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय खड़ा होना चाहिए या बैठकर पूजा करनी चाहिए?
धार्मिक मान्यता के अनुसार सही विधि:
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा हमेशा श्रद्धा और नियमपूर्वक करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक होता है:
जल अर्पण करते समय खड़े रहें:
शास्त्रों में वर्णित है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय भक्त को खड़े होकर ही जल अर्पण करना चाहिए। यह विधि विशेष रूप से तीर्थ स्थानों और मंदिरों में अपनाई जाती है।
बाएं हाथ का प्रयोग न करें:
जल अर्पण और पूजा के दौरान केवल दाएं हाथ का उपयोग करना चाहिए। बाएं हाथ से पूजा करना वर्जित माना गया है।
चप्पल पहनकर न जाएं:
शिव मंदिर में चप्पल पहनकर जाना अशुभ होता है। मंदिर प्रांगण में हमेशा नंगे पांव प्रवेश करना चाहिए।
ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें:
जल अर्पण करते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करते रहना चाहिए। इससे पूजा फलदायी होती है।
सावन में जल चढ़ाने का शुभ समय:
हर सोमवार सुबह ब्रह्ममुहूर्त से लेकर दोपहर तक का समय शिवपूजन के लिए सर्वोत्तम माना गया है। विशेष रूप से प्रदोष काल में भी पूजा करना शुभ होता है।
सावन में शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय खड़े होकर ही जल चढ़ाना चाहिए। यह विधि पारंपरिक और शास्त्र सम्मत मानी गई है। पूजा में शुद्धता, श्रद्धा और नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, तभी उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।