सऊदी अरब–पाकिस्तान डिफेंस डील पर उठे सवाल
Saudi Arabia Pakistan Defense Deal : सऊदी अरब और पाकिस्तान ने हाल ही में एक रणनीतिक परस्पर रक्षा समझौते (Mutual Defense Pact) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के तहत अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो उसे दोनों पर हमला माना जाएगा। समझौते पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रियाद में साइन किए।
इस डील के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि क्या पाकिस्तान अपनी परमाणु तकनीक (Nuclear Technology) सऊदी अरब के साथ साझा करेगा?
ख्वाजा आसिफ ने दिया चौंकाने वाला बयान
पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा—
“हमारे पास जो भी है, हम उन्हें देंगे।”
उन्होंने साफ संकेत दिए कि नए रक्षा समझौते के तहत पाकिस्तान की न्यूक्लियर कैपेबिलिटी (Nuclear Capability) भी सऊदी अरब को उपलब्ध हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस डिफेंस डील में अन्य अरब देशों के शामिल होने के दरवाज़े खुले हैं।
सऊदी अरब के लिए उम्मीद की किरण
सऊदी अरब लंबे समय से पाकिस्तान से परमाणु सहयोग की उम्मीद लगाए बैठा था। पाकिस्तान की इस घोषणा से रियाद को सुरक्षा कवच मिलने की संभावना दिख रही है।
आर्म्स कंट्रोल रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास मौजूदा वक्त में लगभग 170 परमाणु हथियार हैं।
भारत के पास लगभग 172 परमाणु हथियार हैं।
इस लिहाज से यह डील खाड़ी क्षेत्र (Gulf Region) में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
पाकिस्तान ने सफाई दी – डील किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं
19 सितंबर 2025 को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत खान ने प्रेस वार्ता में कहा:
यह समझौता किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है।
डील का मकसद संयुक्त सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत करना है।
यह क्षेत्र और दुनिया में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने वाला कदम है।
भारत का रिएक्शन
भारत ने 18 सितंबर 2025 को इस डिफेंस डील पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस कदम के राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर प्रभावों का अध्ययन करेगा।
गौरतलब है कि यह समझौता उस समय हुआ है जब कतर में हमास नेतृत्व पर इजरायल ने हमला किया था। इस घटना ने खाड़ी क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
पाकिस्तान और सऊदी अरब का यह रक्षा समझौता (Defense Agreement) खाड़ी क्षेत्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। खासकर पाकिस्तान की न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी से जुड़ा पहलू वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। भारत समेत कई देश अब इस डील के नतीजों पर पैनी नज़र रखे हुए हैं।