VARANASI : काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रतिष्ठित चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) और कृषि विज्ञान संस्थान में रैगिंग की गंभीर घटनाएं सामने आई हैं। इस बार मामला केवल शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना तक सीमित नहीं रहा, बल्कि डिजिटल रैगिंग का भी पहला उदाहरण देखने को मिला है।
पहली बार डिजिटल रैगिंग
IMS के सीनियर छात्रों ने टेलीग्राम ऐप पर UGC एंटी रैगिंग स्क्वाड के चेयरमैन के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाकर जूनियर्स को डराया-धमकाया।
40 MBBS छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार:
छात्रों को वीडियो कॉल पर कपड़े उतारने, डांस करने, थप्पड़ मारने और अन्य अपमानजनक कार्य करने के लिए मजबूर किया गया।
44 छात्रों पर हुई कार्रवाई:
IMS BHU (MBBS):28 सीनियर्स पर दोष सिद्ध, ₹25,000 का जुर्माना और हॉस्टल सुविधा निलंबित।
कृषि विज्ञान संस्थान: 16 छात्रों ने 10 से अधिक जूनियर्स के साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया, इन पर भी समान सजा।
यह है UGC और विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया:
UGC ने मामले का संज्ञान लिया, BHU एंटी रैगिंग स्क्वाड ने तीन महीने की जांच के बाद कार्रवाई की।
प्रो. रायना सिंह (स्क्वाड चेयरमैन) ने कहा, “विश्वविद्यालय रैगिंग के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रहा है।
अभिभावकों को भी किया गया तलब:
दोषी छात्रों के अभिभावकों को जुलाई के दूसरे सप्ताह में विश्वविद्यालय बुलाया जाएगा।
रैगिंग के प्रभाव और संकेत:
यह मामला दर्शाता है कि आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग कर रैगिंग को ऑनलाइन माध्यमों से भी अंजाम दिया जा सकता है। इससे छात्रों की मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है और शिक्षा का वातावरण विषाक्त होता है।
BHU प्रशासन का सख्त संदेश:
BHU ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चाहे शारीरिक रैगिंग हो या डिजिटल, विश्वविद्यालय रैगिंग निषेध अधिनियम के अंतर्गत हर दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा
अब सवाल यह उठता है: क्या सिर्फ सजा देना काफी है, या छात्रों में संवेदनशीलता और नैतिकता की शिक्षा देना भी जरूरी है?