Ramnagar Ramlila – Battle of Ram and Ravan : वाराणसी के प्रसिद्ध रामनगर रामलीला का चौबीसवां दिन बेहद रोचक और रोमांचक प्रसंगों से भरा रहा। मंगलवार को मंचन में वह दृश्य दिखाया गया जब रावण के सभी महाभट योद्धा मारे जाते हैं और अंततः स्वयं रावण युद्धभूमि में उतरता है।
रावण का भीषण युद्ध
जैसे ही रावण अपने रथ पर सवार होकर रणभूमि में पहुंचता है, देवता से लेकर वानर सेना तक भयभीत हो उठते हैं। इसी बीच विभीषण जी व्याकुल होकर श्रीराम से निवेदन करते हैं कि वे पैदल युद्ध कर रहे हैं जबकि रावण रथ पर सवार है।
इस पर श्रीराम उन्हें जीवन का अद्भुत ज्ञान देते हैं। वे कहते हैं –
शौर्य और धैर्य उस रथ के पहिए हैं।
सत्य और शील उसकी ध्वजा और पताका हैं।
बल, विवेक, दम और परोपकार उसके घोड़े हैं।
क्षमा, दया और समता उसकी डोरी है।
जो योद्धा इस दिव्य रथ का स्वामी है, उसे हराना असंभव है।
देवताओं ने भी देखा राम का रणकौशल
युद्ध की भीषणता का वर्णन करते हुए तुलसीदास जी लिखते हैं कि आकाश में देवता, सिद्ध, मुनि तक विमानों पर बैठकर युद्ध देखने आए। भगवान शिव भी माता पार्वती से कहते हैं कि मैं स्वयं रणभूमि में था और राम का अद्भुत रणकौशल देख रहा था।
वानरों का नरसिंह रूप
युद्ध में वानर राक्षसों को मारकर उनके गाल फाड़ देते, पेट चीरकर अंतड़ियां गले में डाल लेते। दृश्य मानो स्वयं नरसिंह अवतार का प्रतीक लग रहा था।
लक्ष्मण और रावण का युद्ध
इसके बाद हनुमान, विभीषण, सुग्रीव, जामवंत, नल-नील सभी रावण से युद्ध करते हैं, पर अंततः उसकी वीरता की प्रशंसा कर लौट जाते हैं।
तत्पश्चात लक्ष्मण जी और रावण का भयंकर युद्ध होता है। लक्ष्मण जी रावण पर प्रहार करते हैं और रावण उन्हें मूर्छित कर देता है। जब रावण उन्हें उठाने का प्रयास करता है तो असफल रहता है।
हनुमान जी तुरंत लक्ष्मण को श्रीराम के पास लाते हैं। रामजी के आशीर्वाद और विश्वास से लक्ष्मण पुनः चेतन होकर युद्धभूमि में लौटते हैं और रावण को ‘शक्ति’ बाण से मूर्छित कर देते हैं। रावण का सारथी उसे युद्धभूमि से निकालकर लंका ले जाता है।
कथा का विश्राम और आरती
दिनभर चले इस अद्भुत प्रसंग का समापन विभीषण जी की आरती के साथ हुआ।
रामनगर रामलीला का यह चौबीसवां दिन दर्शकों के लिए अद्वितीय रहा। रावण और लक्ष्मण के बीच हुए युद्ध ने जहां दर्शकों को रोमांचित किया, वहीं श्रीराम के जीवन दर्शन ने सभी को प्रेरणा दी।