Ramnagar Ramleela 2025 का 18वां दिन: कथा का विस्तार
Ramnagar Ramleela 2025 : विश्वप्रसिद्ध रामनगर रामलीला के अठारहवें दिन किष्किंधा कांड का जीवंत मंचन किया गया। भगवान राम और सुग्रीव के बीच हुई मित्रता से लेकर बाली वध, सुग्रीव का राजाभिषेक और फिर हनुमानजी की लंका प्रस्थान तक के प्रसंगों का मनमोहक चित्रण हुआ।
बाली और सुग्रीव का युद्ध
कथा की शुरुआत में भगवान राम सुग्रीव को बाली से युद्ध करने भेजते हैं। जब सुग्रीव बाली को ललकारते हैं तो बाली की पत्नी तारा उसे रोकने का प्रयास करती है। वह बताती है कि सुग्रीव को स्वयं भगवान राम का साथ मिला है। परंतु बाली अपने वीर धर्म की रक्षा के लिए युद्ध स्वीकार करता है।
पहले युद्ध में रामजी बाण नहीं चलाते क्योंकि दोनों भाई समान प्रतीत होते हैं। बाद में भगवान सुग्रीव को एक माला पहनाकर दोबारा युद्ध के लिए भेजते हैं। इस बार भगवान छिपकर बाली का वध करते हैं।
बाली का मोक्ष और सुग्रीव का राज्याभिषेक
बाली मृत्यु के समय भगवान से प्रश्न करता है कि आपने मुझे छुपकर क्यों मारा? इस पर भगवान राम कहते हैं कि जो अपने भाई की पत्नी का अपहरण करे और अन्यायपूर्ण आचरण करे, उसे मारना अधर्म नहीं है। यह सुनकर बाली को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और वह मोक्ष की कामना करता है।
इसके बाद लक्ष्मणजी द्वारा सुग्रीव का राजाभिषेक संपन्न कराया गया।
वर्षा ऋतु और राम का संत-भक्ति संवाद
वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए भगवान राम ने लक्ष्मणजी को साधु-संतों की महिमा और भक्ति का महत्व समझाया। साथ ही सीता जी के विरह का भावुक प्रसंग भी प्रस्तुत हुआ।
हनुमानजी का जागरण और लंका यात्रा
इसके बाद सुग्रीव विलास में डूब जाते हैं, जिससे लक्ष्मणजी क्रोधित होते हैं। हनुमानजी मध्यस्थता करते हैं और सुग्रीव को उनकी भूल का एहसास कराते हैं। तत्पश्चात अंगद, जामवंत, नल-नील और हनुमान सहित वानर सेना सीता माता की खोज में निकलती है।
स्वयंप्रभा नामक तपस्विनी के आश्रम से होते हुए सभी समुद्र तट पर पहुंचते हैं। वहां संपाती से सीता माता की खबर मिलती है। जामवंतजी हनुमानजी को उनकी भूली हुई शक्ति का स्मरण कराते हैं। शक्ति का स्मरण होते ही हनुमानजी विराट रूप धारण कर गर्जना करते हैं और समुद्र लांघने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कथा का समापन
किष्किंधा कांड के समापन के साथ ही लीला का विश्राम हुआ। अंत में सुग्रीव द्वारा भगवान राम की आरती की गई और पूरा परिसर “जय श्रीराम” के जयघोष से गूंज उठा।
रामनगर रामलीला 2025 का यह 18वां दिन भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और अद्भुत दिव्यता का अनुभव कराने वाला रहा।