Prehistoric Rock Paintings Sonbhadra : BHU Survey ने Sonbhadra, Mirzapur, Chandauli और Kaimur तक फैली Prehistoric Rock Paintings की नई श्रृंखला की खोज की है। 3600 ईसा पूर्व से जुड़ी ये गुफा चित्र भारत की प्राचीन सभ्यता के अनमोल प्रमाण हैं।
Prehistoric Rock Paintings Sonbhadra : सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली की गुफाओं में हजारों साल पुरानी सभ्यता के निशान एक बार फिर उजागर हुए हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्राचीन इतिहास विभाग की टीम द्वारा किए गए सर्वे में सोनभद्र से लेकर बिहार के कैमूर जिले तक शैलचित्रों (Rock Paintings) की एक लंबी श्रृंखला मिली है। ये खोज भारत के प्रागैतिहासिक युग (Prehistoric Era) की झलक दिखाती है, जो 3600 ईसा पूर्व से लेकर 25 लाख वर्ष पूर्व तक का इतिहास समेटे हुए है।
Rock Paintings की श्रृंखला: सोनभद्र से कैमूर तक
BHU टीम के दो साल चले सर्वेक्षण में पता चला है कि यह शृंखला सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली से होते हुए बिहार के कैमूर तक फैली हुई है।
इन स्थानों पर गुफाओं की दीवारों पर बने चित्रों में मानव जीवन, पशु-पक्षियों, जलजीवों और धार्मिक प्रतीकों को चित्रित किया गया है।
विशेष रूप से, सोनभद्र के पंचमुखी, मुक्खा फाल, घोरावल, महुअरिया जैसे स्थानों से लेकर चंदौली के नौगढ़ और कैमूर की पहाड़ियों तक सैकड़ों गुफा चित्र मिले हैं।
किन-किन जगहों पर मिले Rock Paintings
चंदौली: गहिजन बाबा पहाड़ी, औरवाटांड़, मंगरही, कुंडइली दरी, हनुमान दरी, टिकुरिया, घूरहूपुर आदि
मिर्जापुर: गोबरदहा, राजापुर, रीठा बाबा पहाड़ी
सोनभद्र: हड़हिइयामान-रमना, लोहरा, सुकृत, कंडाकोट, नगवां ब्लॉक, बहुआर, बजरही पहाड़ी आदि
कैमूर (बिहार): भालू बूड़न घाट, भैंसमरवा, लेखनिया पहाड़ी, मगरदह, सरवनदाग, रतनपुरा आदि
सिर्फ चंदौली जिले में ही 23 नई जगहों पर 34 शैलचित्र मिले हैं, जबकि सोनभद्र में 10 नई जगहों पर 31 और मिर्जापुर में दो नई जगहों पर 2 शैलचित्रों की खोज की गई है।
शैलचित्रों की शैली और महत्व
प्रो. कमलाराम बिंद, डॉ. प्रभाकर उपाध्याय और स्वतंत्र कुमार सिंह के नेतृत्व में हुए सर्वे में तीन प्रमुख कालों से जुड़े चित्र मिले —
- पाषाण युग (Stone Age)
- कांस्य युग (Bronze Age)
- लौह युग (Iron Age)
इन चित्रों में एक्स-रे तकनीक से बने मानव और पशु आकृतियाँ, हिरण, मगरमच्छ, हाथों के छाप, फूल-पौधों के चित्र और ब्राह्मी लिपि में लेखन शामिल हैं।
यहां के कटहरवा शैलाश्रय में एक्सरे तकनीक से बने चित्र पाए गए हैं, जो ताम्र पाषाणिक संस्कृति से जुड़े माने जा रहे हैं।
इतिहास की खिड़की खोलते गुफा चित्र
इन गुफा चित्रों से संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में प्राचीन मानव बस्तियाँ बसती थीं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ये चित्र प्रागैतिहासिक मनुष्य की जीवनशैली, धार्मिक आस्था, लोक कला और संस्कृति की कहानी कहते हैं।
कई स्थानों पर जल स्रोतों और मार्गों (पगडंडियों) का चित्रण भी है, जिससे यह भी संकेत मिलता है कि ये क्षेत्र उस समय आवासीय और सांस्कृतिक केंद्र रहे होंगे।
अधिकारियों ने क्या कहा
डॉ. रामनरेश पाल (क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, वाराणसी) ने बताया कि —
“जो Rock Paintings पहले से संरक्षित हैं, उनकी देखरेख के लिए जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं।
नए मिले शैलचित्रों का भी संरक्षण और विस्तृत अध्ययन जल्द शुरू किया जाएगा।”
सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली और कैमूर के गुफा चित्र भारत के सबसे प्राचीन सभ्यतागत प्रमाणों में शामिल हैं।
इनका वैज्ञानिक अध्ययन न केवल प्रागैतिहासिक कला और संस्कृति को समझने में मदद करेगा, बल्कि भारतीय पुरातत्व के इतिहास को एक नई दिशा भी देगा।