Politics in Maharashtra : महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार को उस समय हलचल देखने को मिली जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को ‘साथ आने’ का प्रस्ताव दे डाला। विधानसभा परिसर में हुई इस मुलाक़ात के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे का अभिवादन किया और उसी दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने मजाकिया लहजे में यह बयान दे दिया जो अब चर्चा का विषय बन गया है। विधानसभा परिसर में फडणवीस-ठाकरे की मुलाक़ात, हल्के-फुल्के अंदाज में हुई बड़ी सियासी बात।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने ठाकरे से कहा :
“हमारा 2029 तक विपक्ष में जाने का कोई स्कोप नहीं है। लेकिन आपके पास सत्ता में आने का स्कोप है, आप विचार कर सकते हैं।”
यह बात भले ही हंसी-मजाक में कही गई हो, लेकिन इसके सियासी मायने गहरे माने जा रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा,
“यह सब बातें मजाक में हो रही थीं, इन्हें ज्यादा सीरियसली लेने की जरूरत नहीं।”
बीजेपी और शिवसेना के रास्ते कब और कैसे हुए अलग ?
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच खींचतान शुरू हुई। शिवसेना का दावा था कि बीजेपी से ढाई-ढाई साल सीएम पद को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन बीजेपी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। नतीजतन, शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया और कांग्रेस व एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। पहली बार उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने, लेकिन ये सरकार जून 2022 में गिर गई जब एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी।
अब क्या है सियासी संकेत ?
फडणवीस का यह बयान उस वक्त आया है जब महाराष्ट्र की राजनीति लगातार बदलाव के दौर से गुजर रही है। एनसीपी दो हिस्सों में बंट चुकी है, शिवसेना का भी विभाजन हो चुका है और विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी कमजोर हो गया है। ऐसे में बीजेपी की तरफ से ठाकरे को ‘स्कोप’ दिखाना राजनीतिक समीकरणों में नई संभावनाओं की ओर इशारा करता है।
Politics in Maharashtra : हालांकि बयान को अभी तक दोनों पक्षों ने हल्के-फुल्के अंदाज में ही लिया है, लेकिन आने वाले चुनावी वर्षों में यह एक नई पटकथा की शुरुआत भी हो सकती है।