Kashi Dev Deepawali 2025 : PM मोदी वर्चुअली देखेंगे काशी की भव्य देव दीपावली, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समर्पित होगी दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती

Kashi Dev Deepawali 2025 : काशी की धरती पर इस बार की देव दीपावली बेहद खास होने जा रही है। 5 नवंबर को होने वाले इस भव्य आयोजन को इस वर्ष ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समर्पित किया गया है। इस अवसर पर पहलगाम हमले में शहीद हुए 26 वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दिव्य आयोजन के साक्षी बनेंगे और वर्चुअल माध्यम से काशी की देव दीपावली का नजारा देखेंगे।

21 अर्चक और 42 देव-कन्याएं करेंगी गंगा महाआरती

दशाश्वमेध घाट पर इस बार गंगा आरती पहले से कहीं अधिक भव्य होगी। 21 अर्चक और 42 देव-कन्याएं मिलकर गंगा मैया की महाआरती करेंगी।
गंगा सेवा निधि की ओर से पहली बार इस आयोजन का लाइव प्रसारण यूट्यूब चैनल @gangaaartigangasevanidhi2261 पर किया जाएगा, ताकि देश-विदेश के लोग घर बैठे इस दिव्य दृश्य का आनंद ले सकें।

करीब दो लाख श्रद्धालुओं के घाटों और नावों पर उपस्थित होने की संभावना है।

Kashi Dev Deepawali 2025 : आतिशबाजी और लेजर शो का जादू

देव दीपावली की शाम को 15 मिनट की आतिशबाजी और तीन शिफ्ट में एक घंटे का लेजर शो आयोजित किया जाएगा।
पर्यटन विभाग और महोत्सव समिति वाराणसी ने 25 लाख से अधिक दीपों की व्यवस्था की है, जिससे पूरा काशी नगरी दीपमालाओं से जगमगाएगी।

घाटों का विभाजन और सुरक्षा प्रबंधन

घाटों को कुल 20 सेक्टरों में बांटा गया है और प्रत्येक के लिए नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 24 सीसीटीवी कैमरे, 150 वॉलंटियर, 100 स्वयंसेवक, और 11वीं वाहिनी NDRF की वाटर एम्बुलेंस तैनात रहेगी।
इसके अलावा, राजकीय चिकित्सालय की टीम और एम्बुलेंस भी हर समय तैयार रहेंगी।

गंगा आरती की परंपरा की शुरुआत

गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि गंगा आरती की शुरुआत 1989 में उनके पिता स्व. सत्येंद्र मिश्रा ने की थी।
तब दशाश्वमेध घाट पर शाम को सन्नाटा रहता था, इसलिए उन्होंने यह परंपरा शुरू की।
शुरुआत में केवल एक अर्चक आरती करते थे, बाद में यह संख्या तीन, फिर पांच और अब सात अर्चक तक बढ़ी।
देव दीपावली (Kashi Dev Deepawali 2025) पर यह परंपरा और भव्य रूप ले लेती है जब 21 अर्चक और 42 देव कन्याएं आरती में सम्मिलित होती हैं।

शौर्य और श्रद्धा का संगम

गंगा सेवा निधि हर साल कार्तिक महीने में आकाशदीप जलाने की परंपरा निभाती है।
यह परंपरा 1999 में कारगिल विजय के बाद शुरू हुई थी।
इस बार जब देश की शौर्यगाथा के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो ये आकाशदीप शहीद सैनिकों की याद में जलाए जाएंगे।
महाआरती के दौरान अरविंद कुमार यादव, सुनील कुमार पांडेय, रितेश कुमार सिंह, इंद्रभूषण सिंह और NDRF के राम बहादुर सिंह सहित कई वीर जवानों को नमन किया जाएगा।

शंखनाद से होगी शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद और डमरू की गूंज से होगी। इसके बाद 3D प्रोजेक्शन मैपिंग और लेजर शो के माध्यम से काशी की संस्कृति, गंगा की महिमा, और विश्वनाथ नगरी की आस्था को प्रदर्शित किया जाएगा।

कुल मिलाकर…

काशी की देव दीपावली (Kashi Dev Deepawali 2025) इस बार केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि शौर्य, श्रद्धा और संस्कृति का संगम बनने जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी के वर्चुअल दर्शन, 25 लाख दीपों की रोशनी, और घाटों पर गूंजते शंखनाद से पूरा विश्व एक बार फिर देखेगा — “काशी की कण-कण में बसी दिव्यता।”

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