Gaza peace deal : पीएम मोदी ने गाजा शांति समझौते पर अमेरिकी राष्ट्रपति को दी बधाई, ट्रेड डील पर कही ये बात

Gaza peace deal : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईज़रायल और हमास के बीच गाजा में हुए शांति समझौते (Gaza peace deal) की सफलता पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बधाई दी है। उन्होंने इस अवसर पर अमेरिका के साथ जारी व्यापार बातचीत (trade deal) में हुई “अच्छी प्रगति” की भी समीक्षा करने की बात कही।

मोदी की प्रतिक्रिया — “मेरे दोस्त ट्रंप”

मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा कि उन्होंने “अपने मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प” से बातचीत की और इस ऐतिहासिक शांति पहल की सफलता पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि साथ ही, ट्रेड डील में हुई अच्छी प्रगति पर भी चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने आने वाले हफ्तों में निकट संपर्क में रहने की सहमति बनाई।

मोदी ने यह भी कहा:

“We welcome the agreement on the first phase of President Trump’s peace plan. This is also a reflection of the strong leadership of PM Netanyahu. We hope the release of hostages and enhanced humanitarian assistance to the people of Gaza will bring respite to them and pave the way for lasting peace.”

इसमें विशेष रूप से यह संदेश छिपा है कि भारत दोनों दृष्टिकोणों — मध्यपूर्व में शांति और भारत-अमेरिका व्यापार सहयोग — के बीच संतुलन बनाना चाहता है।

गाजा शांति समझौते का सार

इज़रायल और हमास ने गुरुवार को सीजेफायर (स्तब्धता) और बंधकों एवं कैदियों के आदान-प्रदान के समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौते के तहत हमास द्वारा कब्जे में रखे गए इज़रायली बंधकों को रिहा किया जाएगा, और बदले में इज़रायल अपनी जेलों में बंद फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा।

इज़रायल को गाजा से आंशिक वापसी करनी होगी और सहायता सामग्री की आवाजाही तथा मानवीय राहत कार्यक्रमों को सुगम करना होगा।

इस शांति प्रस्ताव को ट्रंप की ओर से एक व्यापक 20-बिंदु योजना का पहला चरण माना जा रहा है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर संकेत

मोदी ने अपने पोस्ट में यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने ट्रंप के साथ ट्रेड डील पर हुई अच्छी प्रगति की समीक्षा की। यह संकेत देता है कि भारत इस समय सिर्फ मध्यपूर्व में शांति प्रक्रिया पर नहीं, बल्कि अमेरिका के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को भी सक्रिय रूप देना चाहता है।

यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान समय में भारत-अमेरिका संबंध पर कई मुश्किलें और छलाँगे दोनों तरफ उभर कर सामने आ रही हैं। इस तरह की सार्वजनिक प्रशंसा और स्वागत, दोनों देशों के बीच नए स्तर की रणनीतिक समझौते की राह खुल सकती है।

आलोचनात्मक दृष्टिकोण और चुनौतियाँ

हालाँकि यह समझौता एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई संभव चुनौतियाँ हैं:

  1. समझौते की शर्तों का पालन — बंधक रिहाई, सैनिक वापसी और मानवीय पहुंच को बिना देरी लागू करना होगी।
  2. विश्वसनीयता एवं निगरानी — यह सुनिश्चित करना कि यह सिर्फ एक ‘अस्थायी शांति’ नहीं बना रहे।
  3. राजनयिक दबाव और क्षेत्रीय प्रतिक्रियाएँ — अरब देशों, ईरान, तुर्की आदि की प्रतिक्रियाएँ और भूमिका महत्वपूर्ण होंगी।
  4. मानव त्रासदी व पुनर्निर्माण — गाजा में हुई तबाही को देखते हुए, वहां पुनर्निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाएँ और राहत कार्यों को प्राथमिकता देना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी की यह प्रतिक्रिया दो स्तरों की राजनीति को दर्शाती है — एक तरफ मध्यपूर्व में शांति प्रयासों का स्वागत और दूसरी तरफ भारत-अमेरिका व्यापार एवं रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा। यह बयान भारतीय विदेश नीति की परिष्कृत पैंतरेबाज़ी और वैश्विक मंच पर उसकी सक्रिय भागीदारी का एक उदाहरण है।

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