Nuclear Test: जानिए न्यूक्लियर टेस्ट के दौरान वैज्ञानिक धमाके को कैसे नियंत्रित करते हैं। गहराई में किए जाने वाले अंडरग्राउंड परमाणु परीक्षण
(Nuclear Test) की प्रक्रिया, सुरक्षा उपायों और इस्तेमाल होने वाली तकनीक की पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में पढ़ें।
Nuclear Test: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा परमाणु परीक्षण (Nuclear Test) फिर से शुरू करने के आदेश देने के बाद दुनिया भर में इस विषय पर चर्चा तेज हो गई है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि न्यूक्लियर टेस्ट के दौरान इतने बड़े धमाके को वैज्ञानिक आखिर कैसे कंट्रोल करते हैं? आइए जानते हैं इस बेहद जटिल प्रक्रिया के बारे में विस्तार से।
कैसे होता है न्यूक्लियर टेस्ट (Nuclear Test) कंट्रोल
आधुनिक समय में ज्यादातर परमाणु परीक्षण (Nuclear Test) जमीन के अंदर यानी अंडरग्राउंड टेस्ट के रूप में किए जाते हैं। ये परीक्षण सतह से लगभग 200 से 800 मीटर नीचे किए जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि विस्फोट की ऊष्मा, दबाव और रेडिएशन चट्टानों की परतों के भीतर ही सीमित रहें और वायुमंडल में न पहुंच पाएं।

चट्टानों की मजबूती और सर्वेक्षण
परीक्षण स्थल चुनने से पहले वैज्ञानिक एक भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey) करते हैं। इसमें आसपास की चट्टानों की मजबूती, घनत्व (Density) और संरचना का अध्ययन किया जाता है। मजबूत और स्थिर चट्टानें Shock Wave को अवशोषित कर लेती हैं और रेडिएशन रिसाव की संभावना को कम कर देती हैं।
सुरंग को कैसे किया जाता है सील
जब परमाणु उपकरण गहराई में स्थापित हो जाता है, तब सुरंग को स्टेमिंग (Stemming Process) द्वारा सील किया जाता है।
इसमें रेत, बजरी, जिप्सम और ठंडे टार जैसी चीजों को कई परतों में भरा जाता है। ये प्राकृतिक अवरोध के रूप में काम करते हैं और रेडियोधर्मी गैसों या पिघले मलबे को सतह पर आने से रोकते हैं।

कंट्रोल सेंटर से होता है विस्फोट
विस्फोट स्थल के आसपास कोई व्यक्ति मौजूद नहीं होता। पूरा परीक्षण कई किलोमीटर दूर स्थित कंट्रोल सेंटर से संचालित किया जाता है। वहां से इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल भेजकर परमाणु उपकरण को सक्रिय किया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया कंप्यूटर नियंत्रण और सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत होती है।
इन उपकरणों की पड़ती है जरूरत
एक सफल Nuclear Test के लिए कई तकनीकी उपकरणों की जरूरत होती है—
ड्रिलिंग मशीनें: गहरी सुरंगों को खोदने के लिए।
सीसे से ढंके कंटेनर: रेडिएशन से उपकरणों की सुरक्षा के लिए।
डेटा सेंसर: तापमान, दबाव और शॉक वेव को मापने के लिए।
बजरी, जिप्सम और टार की परतें: सुरंग को सील करने के लिए।
वैश्विक निगरानी प्रणाली कैसे करती है पहचान

परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) के तहत दुनिया भर में कई निगरानी प्रणालियां स्थापित हैं। इनमें शामिल हैं—
भूकंपीय सेंसर (Seismic Sensors): भूमिगत झटकों को रिकॉर्ड करने के लिए।
रेडियोन्यूक्लाइड स्टेशन: हवा में मौजूद रेडियोएक्टिव कणों की पहचान करने के लिए।
हाइड्रोएकॉस्टिक उपकरण: पानी के नीचे की तरंगों पर नजर रखने के लिए।
इन सभी उपकरणों की मदद से किसी भी परमाणु परीक्षण (Nuclear Test) का तुरंत पता लगाया जा सकता है।
न्यूक्लियर टेस्ट (Nuclear Test) एक अत्यंत जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसमें वैज्ञानिकों को भौगोलिक, भौतिक और तकनीकी सभी पहलुओं पर सटीक नियंत्रण रखना पड़ता है। यही वजह है कि ऐसे परीक्षण अब बहुत कम किए जाते हैं और इन्हें सख्त अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत संचालित किया जाता है।