NIT TOPPER : इंटरनेट पर इन दिनों एक NIT टॉपर की कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसे 43 लाख रुपये सालाना पैकेज वाली नौकरी से अचानक निकाल दिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल इस पोस्ट में दावा किया गया कि इस होनहार इंजीनियर को कंपनी ने बिना किसी ठोस वजह के हटा दिया, और मात्र तीन महीने का सेवरेंस पैकेज देकर चलता कर दिया।
डॉ. वेलुमनी की प्रतिक्रिया
यह घटना तब और गंभीर दिखने लगी जब Thyrocare के फाउंडर डॉ. ए. वेलुमनी ने इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे भावी इंजीनियरिंग छात्रों के लिए एक ‘चेतावनी’ बताया। वेलुमनी के अनुसार, हाई सैलरी ऑफर देने वाली कंपनियों का असली मकसद लॉन्ग टर्म में ग्रोथ देना नहीं बल्कि अपने तीन से पांच साल के फाइनेंशियल रिकॉर्ड को बेहतर दिखाना होता है।
डॉ. वेलुमनी का कथन
“कई कंपनियां आकर्षक CTC के नाम पर युवाओं को लुभाती हैं, लेकिन जब वे फाइनेंशियली डिपेंडेंट हो जाते हैं, तब उन्हें अकेला छोड़ देती हैं। इससे युवा असुरक्षित और मानसिक रूप से दबाव में आ जाते हैं।”
राहत की बात
इस पूरे मामले में राहत की बात यह रही कि NIT टॉपर पर किसी प्रकार का होम लोन या भारी कर्ज नहीं था, लेकिन महंगाई और अन्य खर्चों के चलते उसकी स्थिति फिर भी आसान नहीं है। वर्तमान में वह सेविंग्स और सेवरेंस पैकेज के सहारे जीवन चला रहा है।
युवा प्रोफेशनल्स के लिए एक चेतावनी
यह मामला युवा प्रोफेशनल्स के लिए एक चेतावनी है कि सिर्फ सैलरी देखकर नौकरी को पकड़ना ही सही रणनीति नहीं है। अब ज़रूरत है कि युवा अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग मजबूत करें और नौकरी की स्टेबिलिटी, कंपनी की नीयत और ग्रोथ के अवसरों को भी उतनी ही गंभीरता से परखें।