Nimisha Priya Case : केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को लेकर जारी भ्रम के बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने बड़ा बयान दिया है। मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि यमन में सुनाई गई फांसी की सजा अब तक रद्द नहीं हुई है।
दरअसल, 16 जुलाई को निमिषा की फांसी तय थी, लेकिन भारत सरकार, धार्मिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयासों के चलते अस्थायी रूप से फांसी पर रोक लगाई गई थी। इसके बाद कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उनकी सजा पूरी तरह रद्द हो गई है, लेकिन विदेश मंत्रालय ने इन खबरों को गलत बताया है। मंत्रालय ने कहा कि “निमिषा को लेकर कुछ लोगों ने गलत जानकारी फैलाई है।”
क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया 2015 में यमन गई थीं और वहां एक क्लिनिक शुरू किया। उन्होंने यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर बिजनेस किया, लेकिन बाद में तलाल की हत्या के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया और फांसी की सजा सुनाई गई।
ग्रैंड मुफ्ती की कोशिशें और फांसी पर रोक
भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम अबूबकर मुसलियार ने इस मामले में यमन के प्रभावशाली सूफी विद्वान शेख उमर बिन हफीज से हस्तक्षेप की अपील की थी। शेख उमर ने मृतक के परिवार से संवाद किया, जिसके चलते 16 जुलाई की फांसी टाल दी गई, लेकिन सजा अभी भी कायम है।
क्या हो सकती है माफी ?
यमन में शरिया कानून लागू है, जिसके तहत हत्या के मामलों में ‘ब्लड मनी’ (दिया) के ज़रिए माफी का प्रावधान है। यानी यदि मृतक के परिवार को मुआवज़ा दिया जाए और वे माफ कर दें, तो सजा से राहत मिल सकती है।
आगे क्या?
इस मामले में अब निगाहें यमन में चल रही कानूनी प्रक्रिया और मृतक के परिवार के रुख पर टिकी हैं। भारत सरकार लगातार कूटनीतिक और मानवीय आधार पर निमिषा की जान बचाने की कोशिशों में जुटी हुई है।