Navratri 2025 Maa Brahmacharini : मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन को उमड़ा भक्तों का सैलाब, खीर का भोग और गूंजे जयकारे

Navratri 2025 Maa Brahmacharini : शारदीय नवरात्र 2025 का दूसरा दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित रहा। कोतवाली थाना क्षेत्र के दुर्गा घाट स्थित मंदिर परिसर में मंगलवार को अलसुबह से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। भक्तों ने जयकारों के बीच मां के दर्शन कर मंगलकामना की।

भोर में 3 बजे मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही महंत राजेश्वर सागरकर ने मां ब्रह्मचारिणी का पंचामृत स्नान कराकर षोडशोपचार विधि से पूजन-अर्चन किया। इसके बाद भक्तों के लिए मंगला दर्शन के द्वार खोले गए। मंदिर परिसर ‘‘जय मां ब्रह्मचारिणी’’ के नारों से गूंज उठा।

मां को प्रिय खीर का भोग और पूजा विधि

महंत राजेश्वर सागरकर ने बताया कि मां ब्रह्मचारिणी को खीर का भोग अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि खीर से हवन करने पर भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भोर से ही श्रद्धालु नारियल, पुष्पमाला और खीर का प्रसाद लेकर मां के दर्शन हेतु लाइन में खड़े रहे।

सुबह की आरती के बाद दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। इस अवसर पर दक्षिणी विधायक नीलकंठ तिवारी ने भी लाइन में लगकर विधिवत पूजा-अर्चना की।

मां ब्रह्मचारिणी की मान्यता और स्वरूप

शास्त्रों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी का दायां हाथ जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित रहता है। उन्हें तपस्या और त्याग की देवी माना जाता है।

मान्यता है कि राजा हिमालय की पुत्री पार्वती ने देवर्षि नारद के उपदेश पर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की। इसी तपस्या के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया।

मंदिर के सेवादारों के अनुसार, मां ने कई वर्षों तक केवल फलाहार और 3000 वर्षों तक सूखे पत्तों का सेवन कर कठिन तपस्या की थी।

मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से मिलती हैं सिद्धियां

मंदिर के महंत ने बताया कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से भक्तों को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और विजय की प्राप्ति होती है।

जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं, उन्हें मां के दर्शन से सफलता मिलती है।
जीवन की अनेक कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं।
भक्तों के जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है।

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