Nag Nathaiya Varanasi 2025 : गंगा किनारे तुलसीघाट पर सजी दिव्य लीला, श्रीकृष्ण ने किया कालिया नाग का दमन

Nag Nathaiya Varanasi 2025 : काशी नगरी की परंपरा और अध्यात्म से ओत-प्रोत प्रसिद्ध नाग नथैया लीला (Nag Nathaiya) का भव्य आयोजन शनिवार को तुलसीघाट पर किया गया। गंगा तट पर हर वर्ष की तरह इस बार भी यह लीला दर्शकों के लिए अद्वितीय दृश्य लेकर आई, जब स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप में बालक ने*कालिया नाग के अहंकार का दमन किया।

शनिवार की शाम 4 बजे लीला (Nag Nathaiya) का आरंभ हुआ। व्यास चौकी पर वेद मंत्रों और भगवान श्रीकृष्ण की चौपाइयों के पाठ के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तुलसीघाट पर जुटे हजारों भक्तों ने गंगा तट को यमुना तट के समान दिव्यता से भर दिया।

भगवान श्रीकृष्ण और कालिया नाग की लीला ने बांधा सबका मन

लीला (Nag Nathaiya) में भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा सुदामा और अन्य मित्रों के साथ यमुना किनारे गेंद खेलते हुए दिखे। खेलते समय गेंद यमुना के जल में जा गिरी। सुदामा ने भगवान को चेताया कि यमुना में कालिया नाग का निवास है, जो अत्यंत भयानक और विषैला है, लेकिन श्रीकृष्ण ने बिना भय के नदी में छलांग लगा दी।

जैसे ही श्रीकृष्ण जल में प्रवेश किए, घाट पर उपस्थित भक्तों ने “हर हर महादेव” और “जय श्रीकृष्ण” के नारे लगाए। इसके बाद जल के भीतर श्रीकृष्ण और कालिया नाग के बीच भीषण युद्ध का मंचन हुआ। अंततः भगवान ने कालिया नाग के अहंकार का नाश करते हुए उसकी पीठ पर खड़े होकर बांसुरी बजाई। यह दृश्य देखकर घाट पर मौजूद श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

काशी नरेश कुंवर अनन्त नारायण सिंह ने देखा लीला का सौंदर्य

लीला (Nag Nathaiya) के विशेष आकर्षण में रहे काशी नरेश कुंवर अनन्त नारायण सिंह, जो शाम 4:30 बजे अपनी नाव से तुलसीघाट पहुंचे। उन्होंने पूरी लीला का आनंद लिया और श्रीकृष्ण का अभिनय करने वाले बालक को स्वर्ण गिन्नी भेंट कर सम्मानित किया।

काशी नरेश की उपस्थिति से पूरे घाट का वातावरण और भी भव्य हो गया। परंपरा के अनुसार, हर वर्ष काशी नरेश स्वयं इस दिव्य लीला के साक्षी बनते हैं, जो काशी की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक भावना को जीवंत रखती है।

भक्तों का उमड़ा सैलाब, घाट पर दिखी आस्था की अद्भुत छटा

नाग नथैया (Nag Nathaiya) लीला को देखने के लिए वाराणसी ही नहीं, आसपास के जिलों से भी श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। गंगा किनारे दीपों की ज्योति, भक्ति संगीत, और श्रीकृष्ण के जयकारों से पूरा तुलसीघाट गूंज उठा।

लीला समाप्ति के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा आरती में भाग लिया और भगवान श्रीकृष्ण से अपने जीवन में कल्याण और शांति की कामना की।

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