Jagdeep Dhankhar Resignation Update : देश के उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद सियासी हलकों में भूचाल आ गया है। हालांकि उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषक इसे सिर्फ एक बहाना मान रहे हैं। इस्तीफे की असली वजह को लेकर सियासी गलियारों में कई चर्चाएं तेज हो गई हैं।
विपक्ष का आरोप : “परदे के पीछे कुछ और है”
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि धनखड़ का इस्तीफा महज स्वास्थ्य कारणों से नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि सोमवार को जब संसद में कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की बैठक हुई, तो उसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू अनुपस्थित रहे और इस बारे में धनखड़ को पहले से सूचित तक नहीं किया गया। इससे धनखड़ आहत हुए।
फोन कॉल बना वजह ?
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से जगदीप धनखड़ को एक “कड़ा” फोन कॉल किया गया था। यह कॉल उस वक्त आया जब उन्होंने जस्टिस वर्मा को हटाने के विपक्षी प्रस्ताव को सदन में स्वीकार किया। इसके बाद केंद्र और धनखड़ के बीच तीखी बहस हुई। कहा जा रहा है कि इस बहस ने इतना तूल पकड़ लिया कि धनखड़ के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
क्या उन पर लाया जाने वाला था अविश्वास प्रस्ताव ?
सूत्रों के मुताबिक, सरकार और सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं में यह भी चर्चा चल रही थी कि यदि धनखड़ अपने रुख पर कायम रहे, तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। यह जानकारी मिलते ही धनखड़ ने खुद को किनारे करना बेहतर समझा और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
स्वास्थ्य व पारिवारिक प्रतिक्रिया
धनखड़ के इस्तीफे की खबर से उनके पैतृक गांव किठाना (झुंझुनू, राजस्थान) में निराशा की लहर है। उनके रिश्तेदार हरेंद्र धनखड़ ने बताया कि मार्च में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी और पिछले महीने उत्तराखंड दौरे के दौरान उनकी तबीयत भी बिगड़ी थी। गांव वालों का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ देंगे।
गांव की सरपंच सुभिता धनखड़ ने कहा, “धनखड़ जी गांव के लिए गौरव हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वह भविष्य में और भी ऊंचे पद पर पहुंचें।” ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पूर्व उपराष्ट्रपति ने स्कूल और गौशाला के लिए आर्थिक मदद दी थी, जिससे गांव में विकास हुआ।
धनखड़ का इस्तीफा जहां एक तरफ संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की निजी स्वायत्तता और सम्मान को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह देश की मौजूदा राजनीतिक प्रणाली में सत्ता के दबाव और टकराव को भी उजागर करता है। आने वाले दिनों में इस घटनाक्रम के और भी परतें खुल सकती हैं।