IRAN-ISRAEL : ईरान और इजरायल के बीच हालिया सीजफायर के बाद पश्चिम एशिया में कूटनीतिक और सैन्य गतिविधियों में तेजी आ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के सूत्रों के हवाले से खबर सामने आई है कि अमेरिका ईरान के सिविल न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम के लिए 20 से 30 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही ईरान पर लगे कई प्रतिबंधों (सेंक्शन्स) में राहत दिए जाने की भी चर्चा है। हालांकि, यह मदद सीधे न होकर अमेरिका के अरब सहयोगियों के माध्यम से दी जाएगी।
इस बीच, इजरायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इजरायल को अमेरिका की अनुमति की आवश्यकता नहीं है और यदि जरूरत पड़ी तो ईरान पर फिर से हमला किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इजरायल को ईरान के संवर्धित यूरेनियम भंडारों का पूरा ज्ञान नहीं है, लेकिन उनका दावा है कि पिछले सैन्य हमलों ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
काट्ज ने चैनल 12 को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई उनकी पहुंच में होते, तो इजरायल उन्हें मार गिराता। उन्होंने कहा, “हमने कोशिश पूरी की थी, लेकिन अवसर नहीं मिला। हमें अमेरिका से इस बारे में इजाजत लेने की जरूरत नहीं थी।”
Donald Trump ने भी 17 जून को अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था, *”हमें पता है कि खामेनेई कहां छिपे हैं। वह एक आसान लक्ष्य हैं, लेकिन अभी हम उन्हें मारेंगे नहीं।”
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम और खाड़ी क्षेत्र की भू-राजनीति आने वाले समय में और अधिक तनावपूर्ण हो सकती है। अमेरिकी मदद की खबर से जहां तेहरान को राहत मिल सकती है, वहीं इजरायल की चेतावनी इस क्षेत्र में फिर से सैन्य टकराव के संकेत दे रही है।