IIT BHU Super Battery: आईआईटी बीएचयू ने बनाई सुपर बैटरी, आम बैटरी से तीन गुना ज्यादा क्षमता

वाराणसी में वैज्ञानिक उपलब्धि, पहली बार तैयार हुआ प्रोटोटाइप

IIT BHU Super Battery : वाराणसी स्थित आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) के सिरामिक इंजीनियरिंग विभाग ने ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी सुपर बैटरी विकसित की है, जिसकी क्षमता आम बैटरियों से तीन गुना अधिक है। खास बात यह है कि इस बैटरी का आकार बाजार में मिलने वाली सामान्य इनवर्टर बैटरी से तीन गुना छोटा होगा।

देश में पहली बार वैज्ञानिकों ने पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड डबल आयन बैटरी का प्रोटोटाइप सफलतापूर्वक तैयार किया है।

स्वच्छ ऊर्जा भंडारण की चुनौती का समाधान

आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों का दावा है कि यह सुपर बैटरी आने वाले समय में सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के भंडारण की सबसे बड़ी चुनौती को हल कर सकती है।
वर्तमान में, सोलर पैनल से घर-घर बनने वाली बिजली से ग्रिड पर अतिरिक्त भार बढ़ रहा है और ऊर्जा भंडारण क्षमता की कमी एक राष्ट्रीय चिंता बन चुकी है। यह नई तकनीक इस समस्या का समाधान साबित हो सकती है।

वैज्ञानिकों की टीम और शोध उपलब्धियां

इस शोध का नेतृत्व डॉ. प्रीतम सिंह (सिरामिक इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी बीएचयू) ने किया है। उनके साथ शोध में अंकित राज, नीरज कुमार मिश्रा, कृष्ण गोपाल निगम, अभिजीत सिंह, सोहम मुखर्जी, आशा गुप्ता और अखिलेश सिंह जुड़े रहे।

इस रिसर्च को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ पॉवर सोर्सेज में प्रकाशित किया गया है और इस तकनीक का पेटेंट भी फाइल किया जा चुका है।

2030 तक ऊर्जा की जरूरत और सुपर बैटरी की भूमिका

डॉ. सिंह के अनुसार, भारत को वर्ष 2030 तक 61,000 मेगावाट ऊर्जा भंडारण क्षमता की आवश्यकता होगी। लेकिन वर्तमान में देश में केवल 442 मेगावाट स्टोरेज उपलब्ध है। इस सुपर बैटरी के आने से भारत में रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज सेक्टर को मजबूती मिलेगी।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत में पोटेशियम आयन बैटरियों पर काम पहले से चल रहा है, लेकिन यह सुपर बैटरी सीधे लिथियम आयन बैटरी के विकल्प के रूप में विकसित की गई है।

यह सफलता भारत को स्वच्छ ऊर्जा मिशन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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