Heart Attack In India : भारत में तेजी से बढ़ रही दिल की बीमारियां, युवाओं में भी खतरा, जानिए प्रमुख कारण

Heart Attack In India : भारत में दिल से जुड़ी बीमारियां अब एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनती जा रही हैं। फार्मास्युटिकल रिसर्च कंपनियों की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पिछले पांच सालों में हृदय रोग की दवाओं की बिक्री में 50% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2021 में कार्डियक दवाओं का बाजार ₹1,761 करोड़ था, जो 2025 में बढ़कर ₹2,645 करोड़ हो गया है यानी औसतन 10.7% की वार्षिक वृद्धि।

क्यों बढ़ रही हैं भारत में दिल की बीमारियां ?

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अक्षय मेहता के अनुसार, भारत की बुज़ुर्ग होती आबादी, बदलती जीवनशैली और तनावपूर्ण दिनचर्या इसके पीछे अहम वजहें हैं। अब लोगों में जागरूकता बढ़ी है और हृदय रोगों की पहचान पहले से जल्दी हो रही है। इसके चलते इलाज के लिए दवाइयों की मांग भी लगातार बढ़ रही है।

हृदय रोग के प्रमुख कारण:

अनियमित खानपान और जंक फूड का अधिक सेवन
शारीरिक गतिविधि में कमी और व्यायाम का अभाव
तनाव, धूम्रपान और शराब की लत
हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और मोटापा
नींद की खराब गुणवत्ता

दिल से जुड़ी मुख्य बीमारियां:

कोरोनरी आर्टरी डिजीज: धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने से रक्त प्रवाह में रुकावट
हार्ट अटैक: हृदय की मांसपेशियों तक रक्त का प्रवाह अचानक रुकना
स्ट्रोक: मस्तिष्क में रक्त आपूर्ति रुकने से मस्तिष्क को नुकसान
कार्डियक अरेस्ट: दिल की धड़कन अचानक रुक जाना – जिससे हर साल करीब 7 लाख मौतें होती हैं

बदल रही है बीमारी की तस्वीर

पहले दिल की बीमारियां अधिकतर बुज़ुर्गों तक सीमित मानी जाती थीं, लेकिन अब 30 से 45 वर्ष के युवाओं में भी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि कम उम्र में तनाव, वर्कलोड और सोशल मीडिया से जुड़ा मानसिक दबाव इस स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं।

बचाव ही सबसे अच्छा उपाय

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लोग स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें, तो हृदय रोगों की आशंका को काफी हद तक कम किया जा सकता है। दवाइयों पर निर्भरता घटाई जा सकती है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

भारत में दिल की बीमारियों का बढ़ता ग्राफ अब सिर्फ आंकड़ों की चेतावनी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और स्वास्थ्य आपातकाल है। समय रहते अगर जीवनशैली में बदलाव नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में यह संकट और भी गहराता जाएगा।

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