H-1B visa : कैसे मिलता है और क्यों भारतीयों को सबसे ज्यादा पसंद है ये वीजा

H-1B वीजा क्या है ?

H-1B Visa : H-1B एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जो अमेरिका की कंपनियों को यह सुविधा देता है कि वे दूसरे देशों से हाई-स्किल्ड प्रोफेशनल्स को नौकरी पर रख सकें। यह वीजा मुख्य रूप से IT, इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर, डेटा साइंस और रिसर्च जैसे सेक्टर्स में काम करने वालों को मिलता है।

H-1B वीजा की शुरुआती वैलिडिटी 3 साल की होती है।
इसे आगे 3 साल तक एक्सटेंड किया जा सकता है।
हर साल 85,000 H-1B वीजा जारी होते हैं, जिनमें से 65,000 सामान्य कैटेगरी और 20,000 अमेरिका से मास्टर्स या उच्च डिग्री धारकों के लिए होते हैं।

H-1B वीजा कैसे मिलता है

H-1B वीजा पाने के लिए सिर्फ डिग्री होना काफी नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि कंपनी आपका स्पॉन्सर करे। यानी कोई अमेरिकी कंपनी आपके नाम से आवेदन करती है।

प्रक्रिया इस तरह होती है:

  1. कंपनी Sponsorship – अमेरिकी नियोक्ता आपकी ओर से H-1B के लिए आवेदन करता है।
  2. लॉटरी सिस्टम – क्योंकि आवेदन ज्यादा और सीटें कम होती हैं, इसलिए कंप्यूटराइज्ड लॉटरी सिस्टम से चयन होता है।
  3. इंटरव्यू और डॉक्यूमेंटेशन – चयनित होने पर वीजा इंटरव्यू और प्रोसेसिंग पूरी होती है।
  4. वीजा अप्रूवल – सफल उम्मीदवार को H-1B वीजा मिल जाता है और वे अमेरिका जाकर काम कर सकते हैं।

H-1B वीजा क्यों भारतीयों को आता है सबसे ज्यादा रास ?

हर साल H-1B वीजा पाने वालों में सबसे ज्यादा भारतीय ही होते हैं।

2023 में: 1.91 लाख भारतीयों को H-1B वीजा मिला।
2024 में: यह संख्या बढ़कर 2.07 लाख हो गई।

कारण:

उच्च सैलरी और बेहतर लाइफस्टाइल: अमेरिका में टेक और मेडिकल प्रोफेशनल्स की सैलरी भारत से कई गुना ज्यादा होती है।
इंटरनेशनल एक्सपीरियंस: अमेरिकी कंपनियों में काम करने से ग्लोबल एक्सपोज़र और बेहतर करियर ग्रोथ मिलती है।
स्थाई नागरिकता का रास्ता: H-1B वीजा धारक आगे चलकर ग्रीन कार्ड और स्थाई नागरिकता (Permanent Residency) के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
उच्च मांग: अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में भारतीय इंजीनियर्स और IT एक्सपर्ट्स की हमेशा डिमांड रहती है।

H-1B वीजा फीस में बड़ा बदलाव

हाल ही में अमेरिकी सरकार ने इसमें बड़ा बदलाव किया है।

पहले H-1B वीजा प्रोसेसिंग की लागत लगभग 5 लाख रुपये तक थी।
अब नई पॉलिसी के तहत यह फीस बढ़कर 88 लाख रुपये हो गई है।
यह नई फीस 21 सितंबर 2025 से लागू हो चुकी है।

इस बदलाव के बाद वीजा लेना अब 50 गुना महंगा हो गया है, जिससे लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए यह और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

H-1B वीजा भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अब भी अमेरिका में करियर बनाने का सबसे बड़ा रास्ता है। हालांकि नई फीस स्ट्रक्चर से मुश्किलें जरूर बढ़ गई हैं, लेकिन वहां मिलने वाले बेहतर अवसर, ऊंची सैलरी और लाइफस्टाइल इसे भारतीयों के लिए सबसे पसंदीदा वीजा बनाए रखते हैं।

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