Donald Trump Tariff Case : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर चर्चा में हैं। टैरिफ (Tariff) को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अहम केस से पहले ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट कर कहा— “भगवान, अमेरिका का भला करे”।
ट्रंप ने अपने पोस्ट में कनाडा (Canada) पर अमेरिकी जनता को धोखा देने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा कि कनाडा ने हाल ही में एक विज्ञापन चलाया, जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन (Ronald Reagan) को टैरिफ विरोधी के रूप में दिखाया गया है — जबकि ट्रंप के मुताबिक यह “पूरी तरह गलत और भ्रामक” है।
कनाडा के विज्ञापन से भड़के ट्रंप
ट्रंप (Donald Trump) ने अपनी पोस्ट में कहा,
“कनाडा ने हमें धोखा दिया और पकड़ा गया। उन्होंने एक बड़ा विज्ञापन जारी कर यह दिखाया कि रोनाल्ड रीगन टैरिफ के खिलाफ थे, जबकि वास्तव में वे हमारे देश और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए टैरिफ के समर्थक थे।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि कनाडा, अमेरिका के इतिहास के “सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक” यानी टैरिफ केस को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
कृषि उत्पादों पर 400% टैक्स का आरोप
ट्रंप (Donald Trump) ने आगे लिखा कि कनाडा वर्षों से अमेरिकी किसानों के साथ धोखा करता आ रहा है।
“वे हमारे किसानों से 400 फीसदी तक टैक्स वसूल रहे हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। अमेरिका अब अपने उद्योग और किसानों की सुरक्षा के लिए टैरिफ लगाएगा।”
उन्होंने रोनाल्ड रीगन फाउंडेशन को “सच्चाई उजागर करने” के लिए धन्यवाद भी दिया।
सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है टैरिफ केस
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में इस समय ट्रंप (Donald Trump) प्रशासन द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा टैरिफ पर सुनवाई चल रही है। माना जा रहा है कि यह मामला अमेरिकी व्यापार नीति की दिशा तय कर सकता है।
ट्रंप ने इस फैसले को “अब तक का सबसे महत्वपूर्ण मामला” बताया और कहा—
“संयुक्त राज्य अमेरिका फिर से समृद्ध, शक्तिशाली और राष्ट्रीय रूप से सुरक्षित है, और यह टैरिफ की वजह से संभव हुआ है। ईश्वर अमेरिका का भला करे।”
विश्लेषण: क्यों अहम है यह मामला
यह टैरिफ विवाद अमेरिका-कनाडा व्यापार संबंधों में नई खाई पैदा कर सकता है। यदि सुप्रीम कोर्ट ट्रंप (Donald Trump) के पक्ष में फैसला देता है, तो अमेरिका अपने हितों के लिए और सख्त व्यापार नीतियां लागू कर सकता है। वहीं, कनाडा और यूरोपीय देश इसके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।