DONALD TRUMP PAKISTAN VISIT FALSE : पाकिस्तानी मीडिया ने उड़ाई ट्रंप के पाकिस्तान दौरे की झूठी खबर, दुनिया भर में बना मजाक

DONALD TRUMP PAKISTAN VISIT FALSE : पाकिस्तान एक बार फिर फेक न्यूज फैलाने के आरोपों के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मसार हो गया है। इस बार मामला अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति DONALD TRUMP के दौरे से जुड़ा है। पाकिस्तान की मीडिया ने दावा किया कि ट्रंप सितंबर में इस्लामाबाद का दौरा करेंगे, लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो दुनिया भर में पाकिस्तान की किरकिरी हो गई।

PAK मीडिया का झूठा दावा

पाकिस्तान के प्रमुख चैनल समा टीवी ने रिपोर्ट किया था कि डोनाल्ड ट्रंप 18 सितंबर 2025 को पाकिस्तान का दौरा करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि यह दौरा पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद तय हुआ है। पाक मीडिया ने इस भ्रम को फैलाया कि यह दौरा दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई शुरुआत का संकेत है।

हकीकत क्या है ?

असलियत यह है कि DONALD TRUMP 18 से 19 सितंबर के बीच यूनाइटेड किंगडम के राजकीय दौरे पर रहेंगे। इस दौरे की पुष्टि खुद ब्रिटेन की महारानी कैमिला विंडसर ने 14 जुलाई को की थी। ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया को किंग चार्ल्स तृतीय और रानी कैमिला विंडसर कैसल में स्वागत करेंगे।

व्हाइट हाउस की ओर से ट्रंप के पाकिस्तान दौरे को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। ऐसे में पाकिस्तानी मीडिया द्वारा फैलाया गया यह दावा न सिर्फ झूठा निकला बल्कि उसकी गंभीर पत्रकारिता साख पर भी सवाल उठा गया।

फिर खुली पोल

यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तानी मीडिया ने गुमराह करने वाली खबरें फैलाई हों। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ कई बेबुनियाद दावे किए थे, जिन्हें बाद में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने खारिज कर दिया था।

19 साल से अमेरिका ने नहीं किया पाकिस्तान दौरा

गौरतलब है कि पिछले 19 वर्षों में कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान नहीं गया है। साल 2006 में जॉर्ज डब्ल्यू. बुश पाकिस्तान के दौरे पर आए थे, उसके बाद से सभी अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने इस्लामाबाद को नजरअंदाज किया है।

हाल ही में DONALD TRUMP ने व्हाइट हाउस में पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर से मुलाकात की थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश तक कर दी, जो खुद में एक अजीबो-गरीब फैसला था।

फर्जी खबरों और भ्रामक दावों में फंसी पाकिस्तानी मीडिया की साख को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय मामलों में विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए पाकिस्तान को मीडिया पारदर्शिता और तथ्य आधारित रिपोर्टिंग की दिशा में गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है।

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