Dalai Lama : दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर एक बार फिर भारत और चीन के बीच तनातनी सामने आई है। चीन द्वारा भारत को ‘आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने’ की नसीहत देने पर भारत ने दो टूक जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ कहा है कि भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़े मामलों में कोई रुख नहीं अपनाती और न ही हस्तक्षेप करती है।
किसी भ्रम की जरूरत नहीं : किरेन रिजिजू
चीन की आपत्ति केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के उस बयान पर आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी के चयन का निर्णय स्वयं लें — यही उनके अनुयायियों की भी इच्छा है। रिजिजू ने स्पष्ट कहा कि इस विषय में किसी भ्रम की जरूरत नहीं है। दलाई लामा के अनुयायी मानते हैं कि उत्तराधिकारी तय करने का अधिकार केवल उन्हें और स्थापित परंपराओं को है।
भारत तिब्बत के मामले में हस्तक्षेप से बचे : चीन
इस पर चीन की विदेश मंत्रालय प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि भारत को तिब्बत के मामलों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए और 14वें दलाई लामा की ‘चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति’ को समझना चाहिए।
धार्मिक मामलों में दखल न दे चीन
वहीं तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग ने भी चीन को आड़े हाथों लिया और कहा कि “जिस सरकार का धर्म में कोई विश्वास नहीं है, उसे हमारे धार्मिक मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।”
भारत का रुख साफ
भारत का रुख साफ है कि धर्म, परंपरा और आस्था से जुड़े मसलों पर सरकार कोई दखल नहीं देती, और सभी को धार्मिक स्वतंत्रता की पूरी आज़ादी है। इस पूरे विवाद ने तिब्बत के भविष्य और भारत-चीन संबंधों को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय बहस को तेज कर दिया है।