Chitrakoot Donkey Fair 2025 : चित्रकूट में लगा ऐतिहासिक गधों का मेला- ‘शाहरुख-सलमान’ से लेकर ‘आलिया भट्ट’ और ‘अमिताभ’ तक के नाम वाले गधों की लगी बोली

Chitrakoot Donkey Fair 2025 : उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में दीपदान अमावस्या मेले के साथ एक और खास परंपरा जीवित है — गधों का ऐतिहासिक मेला (Donkey Fair), जो मुगल बादशाह औरंगजेब के जमाने से लगता आ रहा है। यह अनोखा मेला मंदाकनी नदी के किनारे आयोजित होता है और हर साल हजारों व्यापारी इसमें हिस्सा लेते हैं।

इस वर्ष मेले में लगभग पंद्रह हजार गधे विभिन्न राज्यों से लाए गए, जिनकी कीमत ₹5,000 से लेकर ₹3 लाख तक रही। मेले (Donkey Fair) की सबसे बड़ी चर्चा का विषय बने वे गधे जिनके नाम फिल्मी सितारों और चर्चित हस्तियों पर रखे गए हैं — जैसे शाहरुख खान, सलमान खान, आलिया भट्ट, काजोल, अमिताभ बच्चन और लॉरेंस बिश्नोई।

तीन दिनों में बिके आठ हजार गधे

मेले (Donkey Fair) के शुरुआती तीन दिनों में ही करीब 8,000 गधे बिक चुके हैं। गधों की कीमत उनके कद-काठी, नस्ल और नाम की लोकप्रियता के आधार पर तय की जाती है।
व्यापारी पहले जानवरों की जांच-परख करते हैं, फिर बोली लगाते हैं। कई खरीदारों का कहना है कि नाम वाले गधों को लोग विशेष रूप से खरीदना चाहते हैं, जिससे इनकी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।

औरंगजेब से जुड़ा ऐतिहासिक रिश्ता

इतिहासकारों के अनुसार, इस मेले की शुरुआत मुगल सम्राट औरंगजेब ने की थी। उन्होंने चित्रकूट के इस मेले (Donkey Fair) से ही अपनी सेना के लिए गधे और खच्चर खरीदे थे। तभी से यह परंपरा निरंतर चलती आ रही है।

सुविधाओं की भारी कमी, घटती रौनक

जहां यह मेला कभी हजारों व्यापारियों और लाखों दर्शकों से गुलजार रहता था, वहीं अब इसकी व्यवस्था अव्यवस्थित होती जा रही है।
नदी किनारे गंदगी, पानी और छाया की कमी, साथ ही सुरक्षा इंतज़ामों का अभाव व्यापारियों को निराश कर रहा है।
व्यापारी बताते हैं कि ठेकेदार उनसे पैसे तो वसूलते हैं, लेकिन कोई सुविधा नहीं दी जाती।
इन कारणों से अब यह ऐतिहासिक गधा मेला अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है।

फिर भी जारी है परंपरा

कठिनाइयों के बावजूद, स्थानीय लोग और व्यापारी इस मेले (Donkey Fair) को अपनी परंपरा का हिस्सा मानकर इसे जीवित रखे हुए हैं।
हर साल दीपदान अमावस्या के अवसर पर चित्रकूट पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह गधों का मेला आकर्षण का केंद्र बन जाता है।

Chitrakoot Donkey Fair 2025 न केवल व्यापारिक आयोजन है, बल्कि भारतीय ग्रामीण जीवन, परंपरा और इतिहास का जीवंत प्रतीक है।
जरूरत है कि प्रशासन इसकी सुविधाओं और सफाई व्यवस्था पर ध्यान दे, ताकि यह अनोखी परंपरा आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रह सके।

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