Chinese Ambassador on Kailash Mansarovar Yatra : भारत और चीन के बीच रिश्तों में लंबे समय बाद फिर से सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं। भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने शुक्रवार को एक अहम बयान देते हुए कहा कि कैलाश-मानसरोवर यात्रा को दोबारा शुरू करने की योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने इसे भारत-चीन संबंधों में नई ऊर्जा भरने वाला कदम बताया। राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि यात्रा बहाली से रिश्तों को मिलेगी नई ऊर्जा
चार साल बाद बातचीत में प्रगति
राजदूत शू ने कहा कि भारत-चीन सीमा की स्थिति अब स्थिर है और दोनों देश अब सीमा प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़े नियमों को लेकर संवाद के लिए तैयार हैं।यह बयान ऐसे समय आया है जब गलवान जैसी झड़पों और सैन्य गतिरोध के कारण चार साल तक रिश्तों में तनाव बना रहा।
यात्रा बहाली से जनस्तर पर विश्वास मजबूत होगा
शू फेइहोंग के अनुसार कैलाश-मानसरोवर यात्रा की बहाली केवल धार्मिक पहलू नहीं रखती, बल्कि यह भारत और चीन के जन-जन के बीच विश्वास को फिर से बनाने का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत होंगे।
सीधी उड़ानों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी जोर
चीनी राजदूत ने बताया कि भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने पर बातचीत चल रही है। साथ ही, सांस्कृतिक और सामाजिक आदान-प्रदान को फिर से गति दी जाएगी, जिससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संवाद और समझ बढ़ सके।
व्यापार और निवेश में भी सहयोग का इरादा
उन्होंने संकेत दिया कि दोनों देश व्यापार और निवेश के मुद्दों पर भी चर्चा कर रहे हैं। राजदूत शू ने कहा कि पारदर्शी और रचनात्मक संवाद के माध्यम से आर्थिक संबंधों को नई दिशा दी जा सकती है।
पाकिस्तान और ऑपरेशन सिंदूर पर सफाई
जब उनसे चीन के पाकिस्तान के प्रति रुख पर सवाल किया गया, तो शू फेइहोंग ने स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंध किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बीजिंग का पाकिस्तान से संबंध भारत-विरोधी नहीं है।
दलाई लामा विवाद पर भारत को चेतावनी
दलाई लामा के पुनर्जन्म पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू की टिप्पणी पर चीनी राजदूत ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि चीन ने भारत के विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया को “नोट” किया है, जिसमें भारत ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाया है।
यह बयान भारत-चीन रिश्तों में एक नई शुरुआत का संकेत माना जा रहा है। जहां एक ओर धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा को दोबारा शुरू करने की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर निवेश, व्यापार और सीमाई मुद्दों पर भी सकारात्मक संवाद की उम्मीद बढ़ी है। अब देखना यह होगा कि इन बयानों के बाद जमीनी स्तर पर कितनी प्रगति होती है।