Chhath Puja 2025: वाराणसी में गूंज उठा छठ गीत ‘अभी ना डुबिहे भास्कर दीनानाथ…’, लाखों श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य

Chhath Puja 2025: छठ महापर्व के तीसरे दिन सोमवार को गंगा तटों पर भक्ति और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिला। लाखों श्रद्धालुओं ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर से परिवार की सुख-समृद्धि और मंगल की कामना की।
शाम ढलते ही अस्सी, दशाश्वमेध, राजघाट, अदलपुरा समेत सभी घाटों पर ‘छठी मइया के गीत’ और ‘अभी ना डुबिहे भास्कर दीनानाथ…’ की स्वर लहरियां गूंज उठीं।

दीपों से जगमग हुए घाट, छठी मइया के गीतों से गूंजा वातावरण

रंग-बिरंगे पारंपरिक वस्त्रों में सजी महिलाएं जब सिर पर डाल (बांस की टोकरी) में फल, ठेकुआ और पूजा सामग्री लेकर गंगा में खड़ी हुईं, तो पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
हर तरफ दीपों की लौ से सजा गंगा किनारा स्वर्ग समान दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। बच्चों, पुरुषों और महिलाओं में एक समान श्रद्धा देखने को मिली।

डूबते सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा: आस्था और समभाव का प्रतीक

छठ (Chhath) पर्व की खासियत यह है कि इसमें डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जो जीवन में समभाव और संतुलन का प्रतीक है। यह पर्व इस बात का संदेश देता है कि जिस तरह उगते सूरज को सम्मान दिया जाता है, उसी तरह अस्त होते सूर्य का भी स्वागत किया जाए।
लोकगीतों में यह भावना झलकती है —

“अभी ना डुबिहे भास्कर दीनानाथ, करिहे घरवा उजियार हो…”

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, प्रशासन ने लिया घाटों का जायजा

छठ (Chhath) पर्व के मद्देनजर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। घाटों पर सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ ड्रोन से निगरानी भी की गई। नगर निगम की टीम ने सफाई और प्रकाश व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा।

मंगलवार को उगते सूरज को अर्घ्य देकर संपन्न होगा महापर्व

27 अक्टूबर (सोमवार) को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालु मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसी के साथ चार दिन चलने वाला यह महापर्व सम्पन्न होगा।
छठी (Chhath) मइया की कृपा से घर-परिवार में सुख, समृद्धि और आरोग्य की कामना के साथ लोग व्रत का समापन करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *