Chhath Puja 2025 : लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) 2025 मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस दौरान व्रतियों ने 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद गंगा तट पर सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की।
काशी के घाटों पर उमड़ा जनसैलाब
वाराणसी के दशाश्वमेध, अस्सी, राजघाट, पंचगंगा और शिवाला सहित सभी घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। व्रती सुबह तड़के सूप और डलिया में प्रसाद लेकर गंगा में उतरे और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। अर्घ्य का शुभ मुहूर्त सुबह 6:27 बजे तक रहा।
घाटों से लेकर सड़कों तक आस्था का ज्वार दिखाई दिया। जगह-जगह जाम की स्थिति बनी रही, जिसे प्रशासन ने कड़ी मशक्कत के बाद नियंत्रित किया।

36 घंटे का निर्जला उपवास पूरा
चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व 25 अक्टूबर को नहाय खाय से शुरू हुआ था। इसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य की पूजा के साथ आज इसका समापन हुआ। व्रतियों ने लगातार 36 घंटे तक बिना जल ग्रहण किए व्रत रखा और परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु तथा समाज की खुशहाली की कामना की।
देशभर में छठ (Chhath Puja) की भक्ति का वातावरण
केवल वाराणसी ही नहीं, बल्कि देश और विदेश के घाटों, नदियों, तालाबों और सरोवरों पर लाखों श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई और नेपाल तक में छठ घाटों पर भक्ति और उत्सव का माहौल रहा।
महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाते हुए जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना की। पूरे वातावरण में “छठी मैया के जयकारे” गूंजते रहे।
लोक आस्था का प्रतीक (Chhath Puja) पर्व

छठ पूजा ( Chhath Puja)न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति, सूर्य और जल के प्रति कृतज्ञता का भी पर्व है।
कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व पर्यावरण, संयम, और श्रद्धा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।
वाराणसी समेत पूरे उत्तर भारत में छठ (Chhath Puja) महापर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़, भक्ति की भावना और लोक परंपराओं ने काशी की धरती को एक बार फिर आस्था के रंग में रंग दिया।