सी-सेक्शन डिलीवरी क्यों बढ़ रही है ?
C-section Delivery Risks : भारत में पहले जहां ज्यादातर डिलीवरी सामान्य (Normal Delivery) होती थी, वहीं अब C-section Delivery तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सी-सेक्शन के मामले 8% से बढ़कर 21% तक पहुंच गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ये आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं।
डॉक्टर सी-सेक्शन की सलाह तब देते हैं जब –
बच्चे की धड़कन कम हो जाए
नाल उलझी हो
बच्चा उल्टी पोजिशन में हो
महिला को गंभीर बीमारी हो
हालांकि, कई बार अस्पताल और डॉक्टर बिज़नेस माइंडसेट के चलते भी सी-सेक्शन करवाने पर जोर देते हैं क्योंकि यह नॉर्मल डिलीवरी से महंगा और समय बचाने वाला होता है।
महिलाओं के लिए C-section Delivery के नुकसान
लंबा रिकवरी टाइम: सामान्य डिलीवरी की तुलना में रिकवरी में ज्यादा समय लगता है।
इंफेक्शन का खतरा: टांकों में इंफेक्शन और ब्लीडिंग का रिस्क बढ़ जाता है।
अगली प्रेग्नेंसी पर असर: बार-बार सी-सेक्शन से गर्भाशय कमजोर हो सकता है।
मानसिक तनाव: कई महिलाएं डिप्रेशन और थकान महसूस करती हैं, जिससे मां-बच्चे की बॉन्डिंग प्रभावित हो सकती है।
बच्चों के लिए C-section Delivery के नुकसान
सांस लेने में समस्या: नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा नैचुरली सांस लेना सीखता है, जबकि सी-सेक्शन में शुरुआती दिक्कत हो सकती है।
कमजोर इम्यूनिटी: शोध बताते हैं कि सी-सेक्शन से जन्मे बच्चों की इम्यूनिटी अपेक्षाकृत कमजोर हो सकती है।
बॉन्डिंग में कमी: जन्म के तुरंत बाद स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट न मिल पाने से बॉन्डिंग प्रभावित हो सकती है।
क्या C-section हमेशा गलत है ?
सी-सेक्शन हमेशा नुकसानदायक नहीं होता। कई बार यह मां और बच्चे दोनों की जान बचाने के लिए जरूरी होता है। असली समस्या तब होती है जब इसे बिना मेडिकल जरूरत सिर्फ सुविधा या आर्थिक कारणों से किया जाता है।
C-section Delivery Risks से यह समझना जरूरी है कि महिलाओं को अपने डॉक्टर से पूरी जानकारी लेकर ही डिलीवरी का निर्णय लेना चाहिए।