Bihar Election से पहले आरजेडी का बड़ा संगठनात्मक दांव : लालू यादव ने बनाई नई टीम, बदले गये 6 प्रकोष्ठों के अध्यक्ष

Lalu Yadav New Team, Patna : बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने संगठन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने 6 अहम प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्षों की नियुक्ति कर नई टीम का ऐलान किया है। यह कदम आगामी चुनाव की तैयारियों को लेकर आरजेडी के रणनीतिक एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है।

लालू यादव ने की नई टीम की घोषणा

पांच जुलाई को लगातार 13वीं बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए लालू यादव ने अपने संगठनात्मक विस्तार के तहत नए और अनुभवी नेताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपी हैं। आरजेडी ने विभिन्न सामाजिक वर्गों को प्रतिनिधित्व देते हुए जिस तरीके से नियुक्तियां की हैं, उससे साफ है कि पार्टी ने सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर यह रणनीति बनाई है।

छह प्रमुख प्रकोष्ठों के नए अध्यक्ष

  1. महिला प्रकोष्ठ – पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह को कमान सौंपी गई है।
  2. युवा प्रकोष्ठ – सांसद अभय कुशवाहा को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
  3. अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ – पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी को मिली जिम्मेदारी।
  4. अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ – पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम को नियुक्त किया गया है।
  5. किसान प्रकोष्ठ – सांसद सुधाकर सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है।
  6. छात्र प्रकोष्ठ – प्राध्यापक नवल किशोर को दी गई कमान।

पार्टी का कहना है कि महिला, युवा, छात्र, अल्पसंख्यक, किसान और दलित-आदिवासी वर्गों को नेतृत्व में शामिल कर संगठन को जमीनी स्तर पर और मजबूती दी जाएगी।

तेजस्वी यादव होंगे मुख्यमंत्री पद के चेहरे

आरजेडी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। वे महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमिटी के अध्यक्ष भी हैं और चुनाव से संबंधित सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत हैं।

गठबंधन को साधने की कोशिश

आरजेडी की नई नियुक्तियों को महागठबंधन में समरसता और संगठन में नई ऊर्जा भरने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी का उद्देश्य सामाजिक प्रतिनिधित्व के जरिए अपने वोटबैंक को मजबूत करते हुए आगामी चुनाव में बढ़त बनाना है।

आरजेडी का यह संगठनात्मक बदलाव न सिर्फ चुनावी तैयारियों को धार देगा, बल्कि पार्टी के अंदर नई ऊर्जा और संतुलन भी लाएगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दलों के मुकाबले यह रणनीति कितना असर दिखा पाती है।

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