Bihar Election 2025 JMM : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार चुनाव में स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है।
पार्टी ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी और 6 विधानसभा सीटों — चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती से अपने उम्मीदवार उतारेगी।
झामुमो ने किया स्वतंत्र चुनाव की घोषणा
JMM के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि झारखंड की सीमावर्ती इन इलाकों में पार्टी का जनाधार लगातार बढ़ा है और अब पार्टी जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए चुनावी मैदान में उतर रही है।
उन्होंने कहा,
“झामुमो बिहार में आदिवासी, दलित और वंचित समाज के मुद्दों को मजबूती से उठाएगा। हमारी लड़ाई जनता की आवाज़ को विधानसभा तक पहुंचाने की है।”
महागठबंधन के लिए चुनौती बढ़ी
JMM का यह फैसला महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दलों) के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला है। अब तक JMM झारखंड में RJD और कांग्रेस का सहयोगी रहा है, लेकिन बिहार चुनाव में उसका अकेले उतरना सहयोगी दलों के बीच तालमेल की कमी को दर्शाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन छह सीमावर्ती सीटों पर JMM की उपस्थिति से RJD और कांग्रेस के वोट बैंक पर असर पड़ सकता है, खासकर आदिवासी और पिछड़े वर्ग के इलाकों में।
बीजेपी ने ली चुटकी
वहीं, बिहार प्रदेश भाजपा ने इस घटनाक्रम पर चुटकी लेते हुए कहा कि झामुमो को महागठबंधन में “बेइज्जती” का सामना करना पड़ा है।
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा,
“झामुमो को महागठबंधन से मिली बेइज्जती पर हमें मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर याद आता है — ‘बड़े बे-आबरू होकर तेरे कूचे से निकले हम।’ अब देखना यह है कि क्या हेमंत सोरेन इस अपमान का बदला लेंगे या फिर चुप रहेंगे।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हेमंत सोरेन झारखंड में अपने मंत्रिमंडल से RJD के मंत्री को बाहर करने की हिम्मत दिखा पाएंगे।
क्या है झामुमो की रणनीति
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि JMM की यह रणनीति भविष्य में बिहार-झारखंड की सीमावर्ती राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास है।
पार्टी आदिवासी और अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाकर आने वाले वर्षों में खुद को एक क्षेत्रीय ताकत के रूप में स्थापित करना चाहती है।
बिहार चुनाव 2025 में झामुमो का अकेले उतरना न सिर्फ महागठबंधन के समीकरण बदल सकता है, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को और दिलचस्प बना देगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह फैसला JMM के लिए राजनीतिक लाभ लेकर आता है या नुकसान।