BIHAR : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान कर दिया है कि आम आदमी पार्टी बिहार में सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। इस ऐलान ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। लोकसभा चुनाव 2024 में INDIA गठबंधन का हिस्सा रही ‘आप’ का यह कदम न सिर्फ गठबंधन की राजनीति से दूरी दिखाता है, बल्कि यह कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती भी बनकर उभर सकता है।
कांग्रेस पर ज्यादा असर की आशंका
गुजरात, पंजाब और दिल्ली के अनुभव बताते हैं कि आम आदमी पार्टी का सीधा असर कांग्रेस पर ज्यादा होता है। चाहे दिल्ली में शीला दीक्षित का राजनीतिक अंत रहा हो या पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी की हार, केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस की जमीन को ही खिसकाया है। गुजरात में भी 5 सीट जीतने के दौरान ‘आप’ ने कांग्रेस से ही दो मजबूत सीटें छीन ली थीं।
अब सवाल है कि बिहार में आप का क्या दांव है? न संगठन, न नेता, न कार्यकर्ता, फिर भी 243 सीटों पर लड़ने की बात क्या महज कांग्रेस को कमजोर करने की रणनीति है? या फिर यह बिहार में पार्टी के विस्तार की शुरुआत है?
केजरीवाल की ‘एकला चलो’ नीति का ही हिस्सा
जानकारों की मानें तो यह केजरीवाल की ‘एकला चलो’ नीति का ही हिस्सा है। वह अब न तो किसी से गठबंधन करना चाहते हैं और न ही किसी राजनीतिक दल के भरोसे रहना। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह भी है कि 2014 में वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना भी एक बड़ा जोखिम था, और उस फैसले ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया था।
क्या बिहार में भी कुछ ऐसा ही होगा? क्या कांग्रेस को नुकसान पहुंचाकर ‘आप’ कोई बड़ा फायदा उठा पाएगी या फिर प्रशांत किशोर की तरह 243 उम्मीदवार खोजना ही चुनौती बन जाएगा?
अभी बिहार चुनाव में वक्त है, लेकिन इतना तय है कि केजरीवाल का यह फैसला ना सिर्फ आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के लिए सिरदर्द बन सकता है, बल्कि विपक्षी एकता के ताने-बाने को भी और उलझा सकता है।