Annkoot Festival Kashi Vishwanath Dham : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) धाम में अन्नकूट पर्व 2025 का भव्य और श्रद्धामय आयोजन संपन्न हुआ। हर वर्ष की भांति इस बार भी अन्नकूट पर्व पर भक्तों की अपार भीड़ रही। भगवान श्री विश्वेश्वर महादेव अलौकिक श्रृंगार 21 क्विंटल विविध प्रकार की मिष्ठानों से किया गया, जिसमें छेना, बूंदी लड्डू, काजू बर्फी, मेवा लड्डू सहित अनेक पारंपरिक मिठाइयाँ सम्मिलित रहीं।
पूरे विश्वनाथ धाम परिसर को पुष्पों, दीपों और सुगंधित धूप से सुसज्जित किया गया था। दीपों की ज्योति और मंत्रोच्चारण से सम्पूर्ण वातावरण भक्ति और उल्लास से परिपूर्ण हो उठा।
भव्य शोभायात्रा और पंचबदन रजत प्रतिमा का स्वागत
अन्नकूट पर्व के अवसर पर भगवान श्री विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) , माता गौरी और गणेश जी की पंचबदन रजत चल-प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत परिवार के आवास से प्रारंभ हुई।
शहनाई और डमरू की मंगलध्वनि तथा “हर-हर महादेव” के जयघोष के साथ प्रतिमाएँ गर्भगृह तक पहुँचीं, जहाँ उत्सवपूर्वक उन्हें विराजमान किया गया। तत्पश्चात मध्याह्न भोग आरती विधिवत संपन्न की गई।
भोग आरती और प्रसाद वितरण
भोग आरती के बाद भक्तों को भगवान श्री विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) का अन्नकूट प्रसाद वितरित किया गया, जो इस पर्व की विशेष परंपरा मानी जाती है। श्रद्धालुओं ने अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रसाद ग्रहण किया और भगवान विश्वनाथ से सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना की।
अन्नकूट पर्व का आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश
अन्नकूट पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह सनातन धर्म के सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक भी है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पूजा की स्मृति में मनाया जाता है, जो प्रकृति, अन्न और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।
यह पर्व समाज में एकता, बंधुत्व, दान और सहयोग की भावना को सुदृढ़ करता है। भक्तगण इस दिन एकत्र होकर न केवल भगवान विश्वनाथ जी की पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ पर्वोल्लास और आनंद का आदान-प्रदान भी करते हैं।
सनातन एकता का प्रतीक बना अन्नकूट महोत्सव
श्री काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) धाम में संपन्न यह अन्नकूट महोत्सव 2025 न केवल आस्था और भक्ति का उत्सव रहा, बल्कि इसने समस्त सनातनधर्मियों को यह संदेश दिया कि सच्ची भक्ति, निःस्वार्थ सेवा और प्रेम के माध्यम से हम सभी एक वृहद सनातन परिवार के सदस्य हैं।
यह आयोजन सनातन समाज में समरसता, सहयोग और आध्यात्मिक उत्थान का दिव्य संदेश लेकर आया।