Chhath Puja 2025 Arghya : उगी हे सुरुज मल…छठ महापर्व का तीसरा दिन आज, जानें संध्या अर्घ्य का समय, विधि और छठी मईया आरती

Chhath Puja 2025 Arghya Time : देशभर में छठ पूजा 2025 की धूम मची हुई है। चार दिवसीय छठ महापर्व का आज 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। आज शाम व्रती महिलाएं और श्रद्धालु अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगे।

Chhath Puja 2025 Evening Arghya Time

27 अक्टूबर की शाम को सूर्यास्त का समय देशभर में अलग-अलग है।

पटना: 5:13 PM
रांची: 5:16 PM
दिल्ली: 5:38 PM
लखनऊ: 5:28 PM
मुंबई: 6:05 PM
कोलकाता: 5:03 PM

सूर्यास्त से लगभग 10-15 मिनट पहले व्रती पूजा प्रारंभ करते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

छठ पूजा की विधि (Chhath Puja 2025 Puja Vidhi)

  1. व्रती महिलाएं स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं।
  2. बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, नारियल, नींबू आदि सजाए जाते हैं।
  3. घाट पर परिवार सहित पूजा की जाती है।
  4. सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए पांच बार परिक्रमा की जाती है।
  5. अर्घ्य के बाद छठी मईया की आरती की जाती है।
  6. अगले दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

‘कोसी भरना’ की परंपरा

छठ पूजा के दौरान ‘कोसी भरना’ एक विशेष अनुष्ठान है। इसमें पांच गन्नों से एक छत्रनुमा ढांचा बनाया जाता है, जो धरती के पांच तत्वों का प्रतीक है। इसके नीचे दीपक और पूजा सामग्री रखी जाती है। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है और यह पूरे पर्व का मुख्य आकर्षण होता है।

छठ पूजा का इतिहास (Chhath Puja History)

छठ महापर्व की शुरुआत रामायण काल से जुड़ी मानी जाती है। कहा जाता है कि माता सीता ने ऋषि मुद्गल के निर्देश पर षष्ठी तिथि को सूर्य देव की पूजा की थी।
महाभारत काल में द्रौपदी ने भी छठ व्रत रखा था, जिससे पांडवों के कष्ट दूर हुए।
सूर्यपुत्र कर्ण प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते थे, जिससे उन्हें दिव्य तेज और शक्ति प्राप्त हुई।

आस्था और भक्ति का पर्व

आज छठ पूजा सिर्फ बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली, मुंबई, गुजरात और विदेशों तक इसकी भव्यता फैल चुकी है। नदी, तालाब और कृत्रिम घाटों पर आज शाम लाखों श्रद्धालु सूर्य उपासना में शामिल होंगे।

छठी मईया आरती (Chhathi Maiya Aarti)

उगी हे सुरुज देव, अरघ दिहीं न ल,
पानी में खड़ा भईल व्रती नारी,
पान, सुपारी, दूध अर्पण करी,
सुख-शांति मांगी सारी सवारी।

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