Kashi ke Barah Aditya book launch : आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में ‘काशी के बारह आदित्य’ (Kashi ke Barah Aditya ) पुस्तक का विमोचन आज वाराणसी के असि घाट स्थित एक प्रसिद्ध होटल में संपन्न हुआ। इस पुस्तक का लोकार्पण संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र के करकमलों द्वारा किया गया।
पुस्तक के लेखक पर्यटन एवं विरासत यात्रा विशेषज्ञ अखिलेश कुमार और जैनेंद्र राय हैं, जिन्होंने वर्षों के शोध के बाद इस ग्रंथ को तैयार किया है। इसमें काशी में स्थित सूर्य या आदित्य से जुड़े बारह प्राचीन मंदिरों और विग्रहों का ऐतिहासिक, धार्मिक और स्थापत्य महत्व विस्तार से बताया गया है।

कार्यक्रम का शुभारंभ और अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने कहा कि “काशी के बारह आदित्य” (Kashi ke Barah Aditya ) केवल काशीवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक ग्रंथ है। उन्होंने लेखकों के इस शोध कार्य की सराहना करते हुए इसे काशी की गौरवशाली परंपरा से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य, पद्मश्री प्रो. ऋत्विक सान्याल, पद्मश्री एस. सुपकार सहित अन्य गणमान्य विद्वान एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे।
इन्टैक वाराणसी चैप्टर की पहल
यह पुस्तक इन्टैक (INTACH) वाराणसी चैप्टर द्वारा प्रकाशित की गई है। संगठन के संयोजक अशोक कपूर ने बताया कि यह पुस्तक काशी की प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी। उन्होंने लेखकों अखिलेश कुमार और जैनेंद्र राय का विशेष आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम संचालन और धन्यवाद ज्ञापन
अतिथियों का स्वागत शशांक नारायण सिंह द्वारा किया गया, जबकि मंच संचालन प्रीतेश आचार्य ने किया।
कार्यक्रम के अंत में इन्टैक वाराणसी के सह-संयोजक अनिल केशरी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
लेखकों की प्रतिक्रिया

लेखक द्वय अखिलेश कुमार और जैनेंद्र राय ने बताया कि काशी में सूर्य उपासना की परंपरा अत्यंत प्राचीन है, लेकिन इन बारह आदित्य मंदिरों पर अभी तक व्यवस्थित रूप से शोध नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल धार्मिक श्रद्धा का परिचायक है, बल्कि यह काशी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है।
पुस्तक का सार:
‘काशी के बारह आदित्य’ (Kashi ke Barah Aditya ) में उन मंदिरों और स्थलों का वर्णन है जहां सूर्य देवता की पूजा की जाती थी। यह ग्रंथ पाठकों को काशी की गहराई, उसकी लोककथाओं और पुरातत्वीय महत्ता से जोड़ता है।