IIT BHU Convocation 2025 : इसरो चीफ वी नारायणन बोले – ‘ऑपरेशन सिंदूर में भी सैटेलाइट की रही अहम भूमिका, G20 देशों के लिए लॉन्च होगा नया सैटेलाइट’

IIT BHU Convocation 2025 : वाराणसी स्थित आईआईटी (BHU) में आयोजित दीक्षांत समारोह 2025 में इसरो चीफ डॉ. वी नारायणन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में भारत के बढ़ते स्पेस मिशनों, ‘विकसित भारत @2047’ के विजन और देश की सुरक्षा में इसरो की सैटेलाइट भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।

‘ऑपरेशन सिंदूर में भी सैटेलाइट की अहम भूमिका’

डॉ. नारायणन ने खुलासा किया कि हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में इसरो के सैटेलाइट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा,

“भारत की रक्षा और रणनीतिक मिशनों में अब सैटेलाइट्स अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर में भी इसरो की तकनीक और सैटेलाइट सिस्टम ने शानदार योगदान दिया।”

उन्होंने बताया कि अब भारत का स्पेस सेक्टर केवल अनुसंधान या खोज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और सामरिक मजबूती का भी आधार बन चुका है।

G20 देशों के लिए लॉन्च होगा नया सैटेलाइट

इसरो चीफ ने बताया कि भारत अब G20 देशों के लिए एक विशेष सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अब किसी दूसरे देश या स्पेस एजेंसी पर निर्भर नहीं है।

“हम पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं। चंद्रयान-3 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की।”

‘साइकिल से चांद तक’ – इसरो की विकास यात्रा

डॉ. नारायणन ने प्रेरणादायक अंदाज़ में कहा कि भारत का स्पेस मिशन साइकिल से शुरू होकर अब चंद्रमा की सतह तक पहुंच चुका है।

“हमारा सफर साइकिल पर रॉकेट ले जाने से शुरू हुआ था और आज हम दुनिया की सबसे आधुनिक स्पेस टेक्नोलॉजी का निर्माण कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि अब तक 133 से ज्यादा सैटेलाइट्स बन चुके हैं और देशभर में 34 नए लॉन्चिंग सेंटर विकसित किए जा रहे हैं।

‘विकसित भारत @2047’ में स्पेस सेक्टर की बड़ी भूमिका

इसरो प्रमुख ने छात्रों से कहा कि भारत के ‘विकसित भारत @2047’ विजन में स्पेस सेक्टर की अहम भूमिका होगी। उन्होंने स्टार्टअप्स, रिसर्च संस्थानों और एकेडमिक जगत से स्पेस मिशन में जुड़ने की अपील की।

“अगर हमारे स्टार्टअप्स, विश्वविद्यालय और रिसर्च सेंटर मिलकर काम करें तो भारत का स्पेस प्रोग्राम दुनिया में सबसे उन्नत बन सकता है।”

IIT BHU के इस दीक्षांत समारोह में डॉ. वी नारायणन का संबोधन न केवल प्रेरणादायक था बल्कि भारत के स्पेस मिशन के उज्जवल भविष्य की दिशा भी दिखाता है। इसरो अब न केवल चांद और मंगल तक पहुंच चुका है, बल्कि विश्व स्तर पर अपने तकनीकी नेतृत्व की छाप छोड़ रहा है।

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