UGC ultimatum 2025 : UGC ने 37 विश्वविद्यालयों को दो हफ्तों का अल्टीमेटम दिया है ताकि वे अपनी वेबसाइट पर सभी आवश्यक जानकारी अपलोड करें। नियमों का पालन न करने पर विश्वविद्यालयों की मान्यता और कोर्स पर रोक लगाई जा सकती है।
UGC ultimatum 2025 : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देशभर के 37 विश्वविद्यालयों को दो हफ्तों के भीतर अपनी वेबसाइट पर अनिवार्य जानकारी अपलोड करने का सख्त निर्देश दिया है। यूजीसी ने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय में निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो इन विश्वविद्यालयों की मान्यता, कोर्स और डिग्री प्रोग्राम पर रोक लगाई जा सकती है।
यूजीसी सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने इन विश्वविद्यालयों की सूची सार्वजनिक करते हुए कहा कि पारदर्शिता और छात्रों के हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है।
UGC ने क्यों दिया गया अल्टीमेटम
सूत्रों के मुताबिक, इन विश्वविद्यालयों को कई बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद, उन्होंने वेबसाइट पर अनिवार्य जानकारी अपलोड नहीं की।
इस लापरवाही के चलते छात्रों और अभिभावकों को सही और अद्यतन जानकारी नहीं मिल पाती, जिससे दाखिले और फीस से जुड़ी भ्रम की स्थिति पैदा होती है।
कौन-कौन से विश्वविद्यालय डिफॉल्टर लिस्ट में हैं
सूत्रों के अनुसार, यूजीसी की सूची में शामिल कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय हैं:
अग्रवन हेरिटेज विश्वविद्यालय (आगरा)
माया देवी विश्वविद्यालय (देहरादून)
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय (भोपाल)
महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय (जबलपुर)
इनके अलावा कुल 37 विश्वविद्यालय इस सूची में शामिल हैं।
वेबसाइट पर किन जानकारियों का होना जरूरी है
UGC ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को निर्देश दिया है कि उनकी वेबसाइट पर निम्नलिखित जानकारियाँ स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होनी चाहिए:
- सभी कोर्स और डिग्री प्रोग्राम की विस्तृत जानकारी
- दाखिला प्रक्रिया और फीस संरचना
- शैक्षणिक कैलेंडर
- फैकल्टी और स्टाफ की जानकारी
- विश्वविद्यालय की मान्यता और संबद्धता की स्थिति
दो हफ्तों का समय और अंतिम चेतावनी
यूजीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह दो सप्ताह का अल्टीमेटम अंतिम अवसर है।
अगर इन विश्वविद्यालयों ने इस अवधि में वेबसाइट अपडेट नहीं की, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी — जिसमें कोर्स और डिग्री प्रोग्राम पर रोक लगाना शामिल है।
यूजीसी का उद्देश्य
UGC का यह कदम शिक्षा में पारदर्शिता और छात्रों के हितों की रक्षा की दिशा में अहम माना जा रहा है।
आयोग का मानना है कि वेबसाइट पर स्पष्ट और अद्यतन जानकारी उपलब्ध होने से छात्रों को सही निर्णय लेने में आसानी होगी और फर्जी या भ्रामक जानकारी से बचा जा सकेगा।
UGC का यह सख्त रुख संकेत देता है कि उच्च शिक्षा संस्थानों को अब पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता देनी होगी।
यदि विश्वविद्यालय समय पर अपनी वेबसाइट अपडेट नहीं करते, तो उनके लिए मान्यता और भविष्य दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।