Nobel Peace Prize 2025 Winner: मारिया कोरिना मचाडो को मिला सम्मान, अमेरिका ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया

Nobel Peace Prize 2025: इस साल का Nobel Peace Prize वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता मारिया कोरिना मचाडो को देने की घोषणा के बाद अमेरिका की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि नोबेल समिति ने “शांति के बजाय राजनीति” को महत्व दिया है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशों को नज़रअंदाज़ किया है।

व्हाइट हाउस ने नोबेल समिति पर साधा निशाना

व्हाइट हाउस के कम्युनिकेशन डायरेक्टर स्टीवन चुइंग (Steven Cheung) ने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा,

“नोबेल समिति ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति स्थापित करने की कोशिशों को नजरअंदाज किया है। इसके बावजूद राष्ट्रपति ट्रंप युद्ध समाप्त करने और लोगों की जान बचाने के प्रयास जारी रखेंगे। वह एक मानवीय संवेदनाओं से भरे व्यक्ति हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि नोबेल समिति ने यह साबित कर दिया है कि उनके लिए राजनीति शांति से ज्यादा अहम है।

ट्रंप की नोबेल उम्मीदों को बड़ा झटका

मारिया कोरिना मचाडो को Nobel Peace Prize मिलने से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है।
ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में कई अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने का दावा किया था और खुद को “Peace Maker President” बताया था।

इस साल 338 नामांकन (94 संगठन और 244 व्यक्ति) आए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल, रूस, अजरबैजान, पाकिस्तान, थाईलैंड, आर्मेनिया और कंबोडिया जैसे देशों ने ट्रंप को Nobel Peace Prize के लिए नॉमिनेट किया था।

ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने 9 महीनों में 8 युद्धों को सुलझाया, जो इतिहास में पहली बार हुआ है।

मारिया कोरिना मचाडो की सराहना

नोबेल समिति ने कहा कि मारिया कोरिना मचाडो को “वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष” के लिए सम्मानित किया गया है।
कमेटी ने कहा —

“मचाडो का जीवन खतरे में होने के बावजूद उन्होंने अपने मिशन को नहीं छोड़ा। उनका यह साहस और समर्पण दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करेगा।”

अमेरिका का बयान: ‘यह राजनीति की जीत है, शांति की नहीं’

अमेरिकी प्रशासन ने इस फैसले को “राजनीतिक” करार दिया है।

ओवल ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि नोबेल समिति ने इस बार एक ‘राजनीतिक संदेश’ देने की कोशिश की है, जबकि ट्रंप की कोशिशें वास्तविक शांति लाने पर केंद्रित थीं।

डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों का मानना है कि राष्ट्रपति की मध्यस्थता और युद्धविराम की पहलें वैश्विक शांति में बड़ा योगदान रही हैं।
वहीं आलोचकों का कहना है कि नोबेल समिति ने लोकतांत्रिक संघर्ष और मानवाधिकारों को प्राथमिकता देकर सही निर्णय लिया।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में ट्रंप इस मुद्दे को अपने राजनीतिक अभियानों में कैसे भुनाते हैं।

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