Mirzapur Religious Conversion Case: चर्च से 5 लोग गिरफ्तार, पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
Mirzapur Religious Conversion Case : मिर्जापुर जिले में पुलिस ने एक चर्च से धर्मांतरण कराने के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि ये लोग हिंदू धर्मावलंबियों को प्रलोभन देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर रहे थे। पुलिस ने कार्रवाई के दौरान आरोपियों के पास से वेतन-भत्ता रजिस्टर, धर्मांतरण से जुड़े डेटा, चार मोबाइल फोन, लैपटॉप और डीवीआर बरामद किया।
पुलिस का खुलासा
एसएसपी सोमेन बर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि यह कार्रवाई अहरौरा थाना पुलिस ने की। मामला कंचनपुर निवासी इंद्रसन की तहरीर पर दर्ज किया गया था। मुख्य आरोपी देव सहायम डैनियल (तमिलनाडु निवासी) और मिथिलेश कुमार कोल को पहले गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के बाद ओमप्रकाश, पारस सोनकर और थॉमस राज सेवक को भी हिरासत में लिया गया।
कैसे होता था धर्मांतरण
आरोपियों की पूछताछ में सामने आया कि डैनियल को इंडियन मिशनरीज सोसाइटी तिरूनिवेली (तमिलनाडु) की ओर से अहरौरा और नौगढ़-चंदौली क्षेत्र का फील्ड इंचार्ज बनाकर भेजा गया था।
चर्च में “चंगाई प्रार्थना सभा” कराकर बीमार और कमजोर वर्ग के लोगों को बुलाया जाता।
उनको आर्थिक मदद, सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण और अन्य सहूलियतें देकर जोड़ा जाता।
धीरे-धीरे बाइबिल पढ़ने और प्रभु यीशु के गीत गाने के लिए प्रेरित किया जाता।
इसके बाद उन्हें प्रलोभन और शैतानी शक्तियों का डर दिखाकर धर्मांतरण कराया जाता।
पुराने मामले और चर्च पर बुलडोजर
लगभग डेढ़ साल पहले अहरौरा के सेंट जोसेफ चर्च और एक अन्य चर्च पर बुलडोजर चला था, तब तीन लोगों को जेल भेजा गया था। उसके बाद कुछ समय तक धर्मांतरण गतिविधियां रुकी रहीं। जुलाई 2025 में डैनियल को फिर से जिम्मेदारी दी गई और उसने क्षेत्र में नए सिरे से काम शुरू किया।
इस दौरान नौगढ़ के तीन चर्च, अदलहाट और अहरौरा के पांच चर्च डैनियल की देखरेख में सक्रिय पाए गए।
पुलिस जांच में बड़े खुलासे
आरोपियों ने अब तक 70 लोगों का धर्मांतरण कराया।
लगभग 600 से 700 लोगों की सूची तैयार की थी, जिन्हें आने वाले महीनों में धर्मांतरण कराने की योजना थी।
चर्च परिसर में डैनियल की पत्नी ने 10 लड़कों के लिए हॉस्टल भी बना रखा था।
2012 में ही धर्मांतरण के लिए प्रारंभिक सर्वे किया गया था, लेकिन असली गतिविधियां 2023-24 से शुरू हुईं।
कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन
उत्तर प्रदेश में हाल ही में लागू हुए धर्मांतरण कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से पहले जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होती है। लेकिन अहरौरा में यह प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज की गई।
एसएसपी ने बताया कि इस मामले में फंडिंग और नेटवर्किंग की जांच साइबर सेल और अन्य एजेंसियों द्वारा की जा रही है।
मिर्जापुर में सामने आए इस धर्मांतरण मामले ने प्रशासन और आम जनता दोनों को चौंका दिया है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सभी को है, लेकिन प्रलोभन और धोखे से धर्मांतरण कराना अपराध है। मामले की गहन जांच जारी है।