गाली देने की शुरुआत किसने की ?
Who Started Abusing: हाल ही में पीएम मोदी अपनी मां के लिए कहे गए अपशब्दों को लेकर भावुक हो गए थे. इसके बाद लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर गाली देने की शुरुआत कब और किसने की थी?
गालियां आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं, लेकिन इनका इतिहास हजारों साल पुराना है. वैज्ञानिक और इतिहासकार मानते हैं कि गालियों की जड़ें प्राचीन सभ्यताओं तक जाती हैं.
प्राकृतिक प्रवृत्ति है गाली देना
गाली देना दरअसल इंसान की एक स्वाभाविक आदत है. गुस्सा, दुख या निराशा के समय लोग ऐसे कठोर शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें समाज अशिष्ट मानता है. आज की गालियां ज्यादातर शरीर, उसकी क्रियाओं या धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी होती हैं.
प्राचीन सभ्यताओं में गालियां
इतिहास बताता है कि मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं में विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया जाता था. हालांकि ये गालियां आज की तरह भद्दी नहीं, बल्कि श्राप और ताने के रूप में होती थीं.
भारत और ऋग्वेद का जिक्र
भारतीय संस्कृति में भी गालियों का इतिहास बेहद पुराना है. वैदिक ग्रंथों और ऋग्वेद में विरोधियों को “असुर” या “म्लेच्छ” जैसे शब्द कहकर अपमानित किया जाता था. इससे साफ है कि इंसान हमेशा से ही विरोध जताने या अपमान करने के लिए कठोर शब्दों का सहारा लेता आया है.
गाली देने की शुरुआत किसी एक इंसान ने नहीं की, बल्कि यह इंसानी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ ही जन्मी. प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आज तक, गालियां समाज का हिस्सा बनी हुई हैं.