काशी विद्यापीठ में Atal Bihari Vajpayee की पत्रकारिता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, वैश्विक दृष्टिकोण पर हुआ विमर्श

Varanasi : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग तथा महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में Atal Bihari Vajpayee की पत्रकारिता’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मोत्सव वर्ष कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित की गई।

संगोष्ठी की अध्यक्षता मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार ने की। उन्होंने कहा कि Atal की पत्रकारिता में भारत की आत्मा, सांस्कृतिक चेतना और समावेशी दृष्टिकोण की झलक स्पष्ट रूप से मिलती है। उनके संपादकीय लेखन में राष्ट्रभक्ति, विचारों की स्पष्टता और संवाद की गंभीरता दिखाई देती है।

Atal

मुख्य अतिथि प्रो. नंदिनी सिंह (निदेशक, आईक्यूएसी एवं अध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग) ने Atal को एक आदर्श पत्रकार बताया। उन्होंने कहा कि Atal निष्पक्ष, संवेदनशील, संवादप्रिय और सत्य के प्रति प्रतिबद्ध थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति को पत्रकारिता के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया।

विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि Atal न केवल प्रखर राजनेता और कवि थे, बल्कि एक समर्पित पत्रकार भी थे। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारतीय पत्रकारिता को नई दिशा दी। डॉ. नागेन्द्र पाठक ने कहा कि Atal की पत्रकारिता राष्ट्र निर्माण के मूल मंत्र से जुड़ी थी। उन्होंने लेखनी के माध्यम से जनचेतना को जाग्रत किया।

संगोष्ठी संयोजक डॉ. प्रभा शंकर मिश्र ने कहा कि Atal भारत माता के सच्चे सपूत थे, जिन्होंने राजनीति के साथ-साथ पत्रकारिता से भी देश सेवा की। उनकी पत्रकारिता का मूल्यांकन वैश्विक स्तर पर होना चाहिए। डॉ. शिवजी सिंह और डॉ. चंद्रशील पांडेय ने Atal की सांस्कृतिक पत्रकारिता को ऐतिहासिक बताया।

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इस अवसर पर डॉ. दयानंद, डॉ. संतोष मिश्र, डॉ. जयप्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. श्रीराम त्रिपाठी सहित कई विद्वानों और शिक्षकों ने अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी का संचालन वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनोहर लाल ने प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही, जिनमें मनीष, श्रेया, पीयूष, हिमांशु, शिवांगी, मुस्कान आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।

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